-15 मई को वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक दुर्ग तक निकाला जाएगा मार्च
– रायपुर से शुरू हुई यात्रा झारखंड, बिहार, उप्र होते हुए पहुंचेगी मप्र, इंदौर में 22 मई को समापन
झांसी, 23 अप्रैल (हि. स.)। आज़ादी के 75वें वर्ष के अवसर पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) प्रेम, दया, करुणा, बंधुत्व, समता और न्याय से परिपूर्ण हिंदुस्तान के स्वप्न को समर्पित “ढाई आख़र प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा” निकाल रहा है। यात्रा आगामी 13 मई को बुंदेलखंड में प्रवेश करेगी तथा 15 मई को झांसी पहुंचेगी।
इप्टा झांसी इकाई महासचिव डॉक्टर मुहम्मद नईम ने बताया कि यात्रा का शुभारंभ रायपुर में सांस्कृतिक रैली, सुप्रसिद्ध कबीर भजन गायक पदम् प्रहलाद टिपानिया की मनमोहक गायकी, छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति के परिचायक नाचा विधा के कलाकारों के लोकगायन व गम्मत (नाटक) की दमदार प्रस्तुति के साथ हुआ। आज़ादी के 75 साल के मौके पर निकलने वाली ‘‘ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा’’ असल में स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले स्वतंत्रता – समता – न्याय और बंधुत्व के उन मूल्यों की तलाश की कोशिश है, जो आजकल नफ़रत, वर्चस्व और दंभ के तुमुल कोलाहल में डूब से गये हैं। हालांकि वो हमारे घोषित संवैधानिक आदर्शों में झिलमिलाते हुये हर्फ़ों के रूप में, गांधी की प्रार्थनाओं और डॉ आंबेडकर की प्रतिज्ञाओं के रूप में हमारी आशाओं में अभी भी चमक रहे हैं। इन्हीं का दामन पकड़कर हमारे किसान, मजदूर, लेखक, कलाकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता गांधी जी के अंहिसा और भगत सिंह के अदम्य शौर्य के सहारे अपनी कुर्बानी देते हुए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में डटे हैं।
यह यात्रा उन तमाम शहीदों, समाज सुधारकों एवं भक्ति आंदोलन और सूफ़ीवाद के पुरोधाओं का सादर स्मरण है, जिन्होंने भाषा, जाति, लिंग और धार्मिक पहचान से इतर मानव मुक्ति एवं लोगों से प्रेम को अपना एकमात्र आदर्श घोषित किया। प्रेम, जो उम्मीद जगाता है, प्रेम जो बंधुत्व, समता और न्याय की पैरोकारी करता है, प्रेम जो कबीर बनकर पाखंड पर प्रहार करता है, प्रेम जो भाषा, धर्म, जाति नहीं देखता और इन पहचानों से मुक्त होकर धर्मनिरपेक्षता का आदर्श बन जाता है।
डॉ नईम ने बताया कि इप्टा जिंदगी के गीत और उम्मीद का प्रतीक है। जब इतिहास के इस दौर में घना अंधेरा छाया हो तो मुहब्बत के गीत, प्रेम के गीत, अमन के गीत गाने की जरूरत है। इस नाउम्मीद के दौर में इप्टा की यात्रा उम्मीद और प्रेम का पैगाम है।
इप्टा द्वारा आयोजित यह सांस्कृतिक यात्रा भाईचारा और अमन का संदेश देते हुए 09 अप्रैल को रायपुर से शुरू होकर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से होते हुए झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश और फिर मध्यप्रदेश के इंदौर में 22 मई को यात्रा का समापन होगा। इस दौरान 250 से अधिक स्थानों पर नाटक, कविता, गीत, गजल, पोस्टर, नृत्य, संगीत, एवं अन्य कलाओं से जुड़े कार्यक्रम होंगे। यात्रा 13 मई को बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार कालपी में आएगी, जहां इप्टा झांसी, उरई, कोंच की टीम यात्रा दल का स्वागत करेंगी तथा कालपी में सांस्कृतिक मार्च का आयोजन होगा, तत्पश्चात आटा गांव में रात्रि विश्राम एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। 14 मई को उरई, हरदोई, कोंच, जालौन आदि स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। 15 मई को यात्रा बिलायां क्रांतिकारी बरजोर सिंह के गांव जाकर उनकी समाधि को नमन करेगी, चिरगांव राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के समाधिस्थल पर पुष्पांजलि के बाद यात्रा झांसी पहुंचेगी, जहां सीपरी इलाइट मार्ग स्थित शहीद भगत सिंह की मूर्ति पर पुष्पांजलि के बाद रानी झांसी के किले तक सांस्कृतिक मार्च निकाला जाएगा, रास्ते में पड़ने वाले समस्त स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित कर यात्रा दल टकसाल स्थित क्रांतिकारी मास्टर रुद्रनारायण के आवास पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करेगा। तत्पश्चात बीकेडी चौराहे पर क्रांतिकारी डॉ भगवानदास माहौर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद यात्रा दल छतरपुर के लिए प्रस्थान करेगा। रास्ते में बरुआसागर,बंगरा, मऊरानीपुर में यात्रा दल अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा।