भोपालः सरकार के खिलाफ एकजुट हुए मजदूर व कर्मचारी, कलियासोत मैदान में जोरदार प्रदर्शन

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भोपाल, 07 मार्च (हि.स.)। मध्य प्रदेश में अपनी विभिन्न लम्बित मांगों को लेकर कर्मचारी, मजदूर और किसान सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए और सोमवार को भोपाल के कलियासोत मैदान में जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय मजदूर संघ के नेतृत्व में हजारों मजदूरों-कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार को अपनी ताकत दिखाई और चेतावनी दी कि लंबित मांगों पर जल्दी सुनवाई नहीं की तो आगे बड़ा प्रदर्शन होगा।

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि सरकार मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। इसके कारण मजदूर-कर्मचारियों के साथ ही किसानों को भी प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पूर्व में हमारी मांगों के समाधान को लेकर आश्वासन दिया गया था, लेकिन इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री मधुकर सावले और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मेघा दुबे ने कहा कि यह प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन है। आगे भी अलग रणनीति तय करेंगे।

उल्लेखनीय है कि भारतीय मजदूर संघ ने वर्ष 2016 में इस तरह का विरोध दर्ज किया था। इसके बाद सोमवार को फिर मजदूर-कर्मचारी और किसान एकजुट हुए और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रदर्शन कर रहे मजदूरों के हाथों में भारतीय किसान संघ के लाल झंडे हैं और सिर पर टोपी है।

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि कर्मचारी, किसान व मजदूर की मांगे पूरी होने नहीं होने के कारण यह प्रदर्शन करना पड़ा है। इनकी प्रमुख मांगे हैं कि स्थायीकर्मी, संविदाकर्मी, निगम मंडल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकों को नियमित की जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे पोषण एप की कमियां दूर की जाएं। इसकी वजह से मैदानी कर्मचारियों को परेशान होना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय कम है, इसे बढ़ाया जाए। रसोईयों का शोषण जारी है। अधिकारी, कर्मचारी बिना पदोन्न्ति के ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन्हें पदोन्न्ति दी जाए। विभागों में कार्यरत कर्मचारियों से वृत्तिकर वसूला जा रहा है, इसे बंद किया जाए। अनुकंपा नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया को सरल किया जाए। मंडी हम्माल के हितों की रक्षा नहीं की जा रही है, तुलावटियों के अधिकार छीने गए हैं। इस पर ध्यान दिया जाए। मनरेगा में मजदूरों को केवल 100 दिन का रोजगार दिया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 250 दिन किया जाए। विभागों में ठेका प्रथा व आउटसोर्स प्रथा चालू है। इसे बंद किया जाए।