देहरादून :- घोटालों का घर बन चुके ऊर्जा निगमों में अब इस पर अंकुश लगने के आसार हैं। इसका कारण नये प्रबंध निदेशक दीपक रावत की पहल है। उन्होंने प्रमुख घोटालों की फाइलों को बाहर निकालने का आदेश दिया है।
ऊर्जा निगम के घोटालों से त्रस्त आकर सरकारों ने अधिकारियों का लगातार तबादला किया। पूर्व ऊर्जा सचिव से लेकर पूर्व प्रबंध निदेशक तक शक के दायरे में रहे। दीपक रावत ने शनिवार को अधिकारियों को बुलाकर सभी फाइलों को निकालने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि वर्षों से दबी पत्रावलियों की समीक्षा की जाएगी। इस समीक्षा के तहत यूपीसीएल और पिटकुल की दो दर्जन पत्रावलियां है।
इन घोटालों की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंची है, जिनमें क्रिएट बिजली घोटाला जिसमें 71 करोड़ का नुकसान होने की बात की चर्चा है। जिटको घोटाला जिसमें 32 करोड़ का नुकसान होने की बात कही गई। निगम में खरीदारी घोटाला, टेंडर घोटाला, ट्रांसफार्मर घोटाला प्रमुख रूप से चर्चा का विषय रहे हैं। इनमें 11 अभियंताओं के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किया गया था। इलेक्ट्रानिक मीटर घोटाला, 74 बिजली लाइन स्थानान्तरण घोटाला, इंसुलेटर उपकरण घोटाला आदि घोटालों की चर्चा निरंतर होती रही है। उत्तराखंड ऊर्जा निगम सर्वाधिक घाटे वाले निगमों में है। विधानसभा में प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट में भी सैकड़ों करोड़ रुपये के घाटे का प्रकरण दिखाया गया है। इसका कारण ऊर्जा निगम में भ्रष्टाचार और खराब नीतियां मानी जा रही हैं। उम्मीद जगी है कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपक रावत इन घोटालों पर निश्चित रूप से अंकुश लगाने का प्रयास करेंगे।