कोरोना महामारी की तीसरी लहर का आना लगभग तय है और अगले हफ्ते से संक्रमण के नए मामलों का बढ़ना भी शुरू हो सकता है। परंतु, दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर भयावह नहीं होगी, इसमें खराब से खराब हालात में भी प्रतिदिन दूसरी लहर की तुलना में एक चौथाई मामले ही मिलेंगे। दूसरी लहर की विभीषिका के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने वाले आइआइटी कानपुर के विज्ञानी मणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम ने गणितीय माडल सूत्र के आधार पर यह दावा किया है।अक्टूबर में आ सकता है पीककानपुर में अग्रवाल और आइआइटी हैदराबाद में एम. विद्यासागर की अगुआई में शोधकर्ताओं ने जो अनुमान लगाया है उसके मुताबिक तीसरी लहर में अक्टूबर में महामारी चरम पर पहुंच सकती है।इस दौरान सामान्य स्थिति में एक लाख से कम और खराब से खराब हालात में रोजाना डेढ़ लाख तक मामले मिल सकते हैं। जबकि, दूसरी लहर में जब महामारी चरम पर थी तो सात मई को चार लाख से ज्यादा मामले पाए गए थे।केरल और महाराष्ट्र बढ़ा सकते हैं मुसीबतहालांकि, इनका यह भी कहना है कि केरल और महाराष्ट्र जैसे अधिक संक्रमण दर वाले राज्य इस पूर्वानुमान की तस्वीर को बिगाड़ भी सकते हैं। इस पूर्वानुमान में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने और उभरते हाटस्पाट का तुरंत पता लगाने पर जोर दिया गया है। साथ ही जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिये कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पर भी निगरानी रखने की जरूरत बताई गई है, क्योंकि अगर डेल्टा जैसा कोई नया वैरिएंट आया तो स्थिति बिगड़ सकती है, जैसा कि दूसरी लहर में देखने को मिला था।लापरवाह रवैये को लेकर चिंता जताईविज्ञानियों ने संक्रमण के कमजोर पड़ने पर सामाजिक और व्यावसायिक गतिविधियों के शुरू होने के साथ ही लोगों के लापरवाह रवैये को लेकर चिंता जताई है। महामारी की पहली लहर का प्रभाव जल्द खत्म होने के बाद कुछ ऐसा ही रवैया देखा गया था। उसके बाद दूसरी लहर ने ऐसी तबाही मचाई की किसी को संभलने का मौका ही नहीं दिया।सावधान रहकर टाल सकते हैं तीसरी लहरमणींद्र अग्रवाल और उनकी टीम ने गणितीय माडल सूत्र के आधार पर एक सुकून देने वाला अनुमान भी व्यक्त किया है। इसके मुताबिक सामाजिक और व्यावसायिक गतिविधियों के खुलने के बावजूद अगर लोग कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करें, मास्क पहने और शारीरिक दूरी बनाए रखें तो इस महीने के अंत तक न सिर्फ नए मामलों को 25 हजार के नीचे लाया जा सकता है, बल्कि तीसरी लहर की आशंका को भी बहुत हद तक कम किया जा सकता है। फिलहाल रोजाना 40 से 41 हजार मामले सामने आ रहे हैं।