सबको वैक्सीन देने की चक्कर में प्राथमिकता समूह छूट रहा है। जिन लोगों का सबसे पहले टीकाकरण पूरा होना चाहिए था उन्हें वैक्सीन के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ज्यादातर राज्य हर किसी को वैक्सीन लगाने में जुटे हुए हैं। वह भी तब जब देश में टीके की आपूर्ति सीमित है।
कोरोना योद्धाओं 60 से अधिक आयु वालों व पुराने मरीजों का टीकाकरण पिछड़ा
मेडिकल जर्नल बीएमजे में प्रकाशित आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार, महामारी को रोकने के लिए प्राथमिकता समूह का टीकाकरण पूरा करना होगा, जो आबादी का 18 फ़ीसदी है। इस समूह में 60 या उससे अधिक आयु के लोग स्वास्थ्यकर्मी फ्रंटलाइन वर्कर्स पुराने रोगी हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस समूह के लोगों की संख्या देश में 30 से 32 करोड़ तक हो सकती है। गणितीय मॉडल अनुमानों के अनुसार, सबसे ज्यादा जरूरत वाले वर्गों को ही वैक्सीन सबसे पहले देना चाहिए।
टीकाकरण से तीसरी लहर का असर घटेगा
अध्ययन से स्पष्ट है कि प्राथमिकता समूह का टीकाकरण समय पर पूरा हो जाएगा, तो तीसरी लहर का गंभीर असर नहीं होगा। 20 फ़ीसदी से अधिक नए मामले कम देखने को मिलेंगे और संक्रमण से मरने वालों की संख्या में 29 फ़ीसदी से भी अधिक की गिरावट दर्ज की जा सकती है, लेकिन यह तभी मुमकिन है, जब योजनाबद्ध तरीके से टीकाकरण को आगे बढ़ाया जाए।
तो मौतों में आ सकती है 30 प्रतिशत की कमी
आईसीएमआर के मुख्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर समीरन पांडा ने बताया प्राथमिकता समूह के पूरे टीकाकरण के बाद वैक्सीन का 60 फीसदी असर भी हो तो नए मामलों में 20.6 फ़ीसदी और मृत्यु में 29.7 फीसदी की कमी आ सकती है। लक्षण वाले मरीजों में 10.4 फीसदी मौतों में 32.9 फ़ीसदी तक कमी संभव है। पर्याप्त मात्रा में टीके मिलने पर युवाओं को शामिल किया जा सकता है।
ऐसे हुआ नुकसान
1 मार्च से बुजुर्गों का टीकाकरण शुरू हुआ। अप्रैल तक 45 या उससे अधिक आयु के लोगों का टीकाकरणट ठीक से चला, लेकिन 1 मई से 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग को शामिल करने पर प्राथमिकता समूह पिछड़ गया। 45 से अधिक आयु वालों में से 45.4 फ़ीसदी, 18 से 44 वर्ष में 15 फ़ीसदी को एक खुराक मिल चुकी है। 18 या अधिक आयुवालों की देशों में आबादी 94.40 करोड़ के आसपास है।