नई दिल्ली. डब्ल्यूटीओ के 60 पैनल सदस्य देश कोविड-19 के सुरक्षा उत्पादों पर पेटेंट में छूट के लिए उच्चस्तरीय बातचीत जारी रखे हुए हैं। फिलहाल, विकासशील देश कोरोना वैक्सीन के पेटेंट और अन्य कानूनी सुरक्षा में ढील देने के प्रस्ताव के पक्ष में हैं, जबकि 27 देश इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन एवं उसकी निर्माण प्रक्रिया पर अस्थायी पेटेंट छूट के लिए गठित विश्व व्यापार संगठन पैनल की बैठक 8 व 9 जून को हुई। भारत एवं दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 टीकों, उपचारों और परीक्षणों के लिए पेटेंट सुरक्षा में अस्थायी ढील देने का प्रस्ताव रखा, जिसे ‘आईपी छूट’ कहा गया। दो दिवसीय वार्ता में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अपना संशोधित प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन दुनिया के 60 से अधिक देशों ने किया। इस संशोधन में कोविड-19 उत्पादों के लिए तीन साल तक अस्थायी ढील देने पर जोर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, ब्रिटेन, कोरिया, स्विटजरलैंड सहित यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश पेटेंट छूट के प्रस्ताव पर विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका, चीन, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने भी भारत व दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का फिलहाल पूरी तरह समर्थन नहीं किया।
पैनल सदस्यों के बीच अगले सप्ताह अनौपचारिक बातचीत शुरू होगी। इसका उद्देश्य एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करना है, जिसे 21-22 जुलाई को विश्व व्यापार संगठन के विभिन्न देशों के राजदूतों की प्रस्तावित बैठक में रखना होगा। यदि पेटेंट संरक्षण छूट को विश्व व्यापार संगठन द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो यह विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के नागरिकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। आईपीआर फॉर सोसायटी और आईपी मोमेंट के संस्थापक डॉ. परेश दवे ने कहा कि पेटेंट प्रणाली का उद्देश्य समाज के लाभ के लिए है। दुनिया के सभी देशों को इस वैश्विक महामारी में छूट देनी होगी। ऐसे में पेटेंट अधिकारों को माफ करने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। इस आईपी छूट से एक नहीं, बल्कि महामारी से ग्रसित कई देशों को राहत मिलेगी।