शिक्षा सत्र में अब तक स्कूल खुलने को लेकर कोई आदेश नहीं आया है। इधर पाठ्यपुस्तक निगम के स्थानीय डिपो से किताबों के वितरण का काम चल रहा है। निगम के अधीन बस्तर संभाग के छह जिलों बस्तर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा व बीजापुर के लिए यहां डिपो बनाया गया है। यहां से हाईस्कूल की किताबें सभी जिलों के स्कूलों में पहुंचाई गई हैं। जानकारी मिली है कि सबसे पहले नारायणपुर जिले में किताबों को पहुंचाया गया है। जिन स्कूलों में किताबें पहुंचाई गई हैं, उनमें से कुछ जगह कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश के साथ बच्चों को बुलाया गया तो कहीं-कहीं शिक्षकों ने ही घर पहुंचकर किताबें दीं।
इस व्यवस्था के दोनों पहलुओं की चर्चा हो रही है। शिक्षकों का कहना है कि हाईस्कूल की कक्षाओं में अधिकांश जगहों पर सौ से अधिक छात्र दर्ज हैं, ऐसे में उन्हें घर पहुंचाकर किताब देना काफी कठिन काम है। उनका तर्क यह भी है कि जब बारहवीं के प्रश्नपत्र व उत्तरपुस्तिका देने के लिए छात्रों को स्कूल तक बुलाया जा सकता है तो किताब लेने के लिए भी बुलाया जाना चाहिए। वहीं अभिभावक इस मामले में किसी प्रकार का जोखिम न लेने की बात कह रहे हैं।
23 तक आने की संभावना
पाठ्य पुस्तक निगम के द्वारा यहां प्राइमरी व मिडिल स्कूल में पढ़ाए जाने वाले विषयों में से एक-दो टाइटल की किताबें नहीं भेजी गई हैं। ऐसे में इनका वितरण क गया है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि 23 जून तक बची किताबें आने की संभावना है। उसके बाद संकुलों तक इन्हें पहुंचाया जाएगा। स्थानीय डिपो के प्रभारी अधिकारी अनिल दास के अनुसार छह जिलों के 876 संकुलों तक प्राइमरी व मिडिल स्कूल की पुस्तकें पहुंचाई जाएंगी। वहां से सीएसी अपने क्षेत्र के स्कूलों तक ले जाने की व्यवस्था करेंगे।
प्राइवेट को जुलाई में देंगे
बस्तर संभाग के प्राइवेट स्कूलों को जुलाई में किताब देने की जानकारी मिली है। वहीं अनुदान प्राप्त स्कूलों को हाईस्कूल की पुस्तकें दे दी गई हैं। इस साल अध्यापन शुरू नहीं हुआ है इसलिए कहीं किताबें देर से भी भेजी जा रही हैं तो ज्यादा विवाद नहीं हो रहा है। बच्चे व उनके अभिभावक भी इस मामले को तूल नहीं दे रहे हैं।