कोरोना की चपेट में दोबारा आने की आशंका बहुत कम

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कोरोना की चपेट में दोबारा आने की आशंका बहुत कम है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने अपने ताजा अध्ययन में ये दावा किया है। पीएचई की साप्ताहिक सर्विलांस दोबारा संक्रमण रिपोर्ट के अनुसार 30 मई तक देश में करीब 40 लाख लोग संक्रमित हुए। इसमें से सिर्फ 15,893 लोगों ही दोबारा संक्रमण की चपेट में आए।

पीएचई के स्टैटजिक डायरेक्टर डॉ. सुशान हॉपकिन्स का कहना है कि लोग इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि क्या एक बार संक्रमण की चपेट में आने के बाद दोबारा संक्रमण हो सकता है। टीके की दोनों डोज लेने वालों को खतरा बहुत कम है।

दोबारा संक्रमण में लक्षण नहीं
अध्ययन में ये भी पता चला है कि दोबारा संक्रमण के मामलों में लक्षण नहीं आते हैं। हालांकि, अभी अध्ययन जारी है। ये भी पता करने की कोशिश है कि ऐसे कौन से कारण हैं, जिससे कोई व्यक्ति दोबारा संक्रमण की चपेट में आ सकता है। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अभी कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे ये पता चले कि डेल्टा या कोई अन्य वैरिएंट दोबारा संक्रमण का प्रमुख कारक है।

ठीक होने वालों को टीका राजस्व की बर्बादी
एम्स, नई दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रो . संजय राय बताते हैं कि कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को टीका लगाना राजस्व की बर्बादी है । वे बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर हुए कई अध्ययन से पता चल चुका है कि संक्रमण की चपेट में आने वाले लोगों को लंबे समय तक वायरस से बचाव होता है । ऐसे लोगों को टीका लगाने का कोई लाभ नहीं है। इससे सिर्फ पैसे की बर्बादी हो रही है।

लोगों के व्यवहार और वायरस के म्युटेशन पर निर्भर करेगी तीसरी लहर
एम्स के सहायक प्रोफेसर नीरज निश्चल ने कहा कि तीसरी लहर बहुत कुछ लोगों के व्यवहार और वायरस के म्युटेशन पर निर्भर करेगी। टीकाकरण ही बचाव का उपाय है, अगर आपने ने टीका लगवा लिया है तो संक्रमण की गंभीरता ज्यादा नहीं होगी।