क्या जल्द अंतरिक्ष की अज्ञात ताकत से उठेगा पर्दा

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दिल्ली। फिजिक्स या नैचुरल फिलॉस्फी को लेकर कोई भी बुनियादी मिजाज की चर्चा अभी डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पर आकर अटक जाती है। हाल में एक फंडामेंटल पार्टिकल म्यूऑन पर लिए गए दो असाधारण प्रेक्षणों को लेकर पूरी दुनिया में जबरदस्त सनसनी देखी गई। कई भौतिकशास्त्री इस बात को लेकर ही तरंगित दिखे कि इससे पार्टिकल फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल को लेकर अरसे से बनी संतुष्टि समाप्त होगी और वैज्ञानिक अपनी पूरी ताकत डार्क मैटर और डार्क एनर्जी जैसे बड़े रहस्यों को समझने में लगा सकेंगे।

जाहिर है, सृष्टि के मूलभूत कारोबार में दिलचस्पी रखने वाले एक आम इंसान के लिए यह जानना ज़रूरी हो गया है कि ये दोनों चीज़ें आखिर हैं क्या, और विज्ञान के लिए इन्होंने अचानक इतना केंद्रीय महत्व कैसे ग्रहण कर लिया है। इन विशाल आकाशीय संरचनाओं में किसी भी उपाय से प्रेक्षित न की जा सकने वाली कोई चीज़ है, जिसमें वजन के अलावा दर्ज करने लायक और कुछ नहीं है, और जिसे समझने के लिए छोटे स्तर पर उसकी कोई बानगी भी मौजूद नहीं है, यह बात 1970 के दशक तक पक्की हो गई थी। फिर हमारी अपनी आकाशगंगा के अध्ययन से पता चला कि इसके बाहरी तारों की रफ्तार काफी तेज़ है।

गौरतलब है कि सौरमंडल की तरह शनि, यूरेनस और नेपच्यून जैसे बाहरी ग्रहों के अपनी कक्षा में तुलनात्मक रूप से धीमा, और धीमा होते जाने जैसा कोई मामला वहां नहीं है। यह तभी संभव था, जब इसमें बाहर कोई अनदेखा वजन मौजूद हो। इस तरह डार्क मैटर ने अनुमान से हटकर एक ठोस चीज़ की शक्ल अख्तियार कर ली। फिर जल्द ही यह हिसाब भी लगा लिया गया कि यह अनजाना द्रव्य पूरे ब्रह्मांड में वजन के हिसाब से सामान्य द्रव्य का- जिसमें तारों, ग्रहों-उपग्रहों, ब्लैक होल और धूल-धक्कड़ से लेकर हम-आप भी शामिल हैं- लगभग छह गुना है। डार्क एनर्जी अलबत्ता बहुत हाल की चीज़ है और एक मामले में यह डार्क मैटर से भी कम ‘डार्क’ है।

डार्क मैटर के साथ किसी भी उपाय से नज़र न आने वाली बात ज़रूर जुड़ी है, लेकिन डार्क एनर्जी का क़िस्सा 1998 में इसके नज़र आ जाने के साथ ही शुरू हुआ। ब्रह्मांड फैल रहा है, यह जानकारी 1930 के दशक में हो गई थी, जब आइंस्टाइन का जलवा अपने चरम पर था। यह और बात है कि ख़ुद आइंस्टाइन ब्रह्मांड के स्टेडी स्टेट (स्थिर अवस्था) मॉडल के पक्षधर थे और अपनी पूरी दिमाग़ी क्षमता उन्होंने इसके फैलाव से जुड़े प्रेक्षणों को बैलेंस करने में लगा दी थी।