दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत हुई कम, राहत की बात

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दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में पिछले करीब एक सप्ताह से ऑक्सीजन की खपत में कमी आई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण संक्रमण दर में कमी को माना जा रहा है। इसके साथ ही मरीजों के ठीक होने की दर बढ़ने से सक्रिय मरीजों की संख्या में भी कमी आ रही है। इससे भी दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत में कमी आई है, जबकि एक समय दिल्ली सरकार ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत बताई थी। पांच मई को केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई थी। उसके एक दो दिन बाद से ही दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत में कमी आनी शुरू हो गई।

पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक छह मई को दिल्ली को 577, सात मई को 487, आठ मई को 499, नौ मई को 596, 10 मई को 623, 11 मई को 569 और 12 मई को 555 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई, लेकिन दिल्ली सरकार ने 10 मई को 112, 11 मई को 46 और 12 मई को 50 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का ही इस्तेमाल किया, बाकी ऑक्सीजन को वापस कर दिया गया। इससे साफ है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत घट गई है। इसके साथ ही यह भी बात सामने आती है कि दिल्ली सरकार की तरफ से जितनी ऑक्सीजन की जरूरत बताई जा रही थी असल में उतनी की जरूरत नहीं थी इसी वजह से जमा हुई ऑक्सीजन के इस्तेमाल नहीं होने के साथ ही भंडारण क्षमता में कमी की वजह से दिल्ली को ऑक्सीजन लौटानी पड़ी थी।

वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी दिल्ली में 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत की बात कही थी। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी दिल्ली में खपत से ज्यादा आपूर्ति होने के कारण ऑक्सीजन को वापस करने की बात कही है। वहीं, अगर नए मरीजों के कम होने की बात करें तो इनमें मई की शुरुआत में ही कमी आनी शुरू हो गई थी। इससे पहले 24 घंटे में नए मरीजों की संख्या 28 हजार के पार और सक्रिय मरीजों की संख्या करीब एक लाख तक पहुंच गई थी, साथ ही संक्रमण दर भी करीब 36 फीसद हो गई थी। अब जैसे-जैसे संक्रमण दर में लगातार कमी आ रही है उसी तरह नए मरीज और सक्रिय मरीज भी घट रहे हैं। इससे आक्सीजन की खपत भी कम हो रही है। छह मई को अस्पतालों में 20,117 मरीज भर्ती थे, जबकि 17,511 मरीज भर्ती थे। इस लिहाज से अस्पतालों में 9.45 फीसद मरीज कम हुए हैं। इसके साथ ही होम आइसोलेशन में भी अब मरीजों की संख्या घटकर 45,099 रह गई है, जबकि महीने के शुरू में यह संख्या 50 हजार से ज्यादा थी।