गाजियाबाद। आनंद सेवा समिति की अध्यक्ष ममता सिंह का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर आज इस महामारी में कोरोना ने किया आम क्या खास क्या अमीर क्या गरीब क्या मालिक क्या मजदूर सब को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। लोगों की जान आज शामत में है। चारों तरफ लोग डरे सहमे और मजबूर हैं। प्रवासी मजदूर वापस अपने घर लौट रहे हैं उनके सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना अब समस्या बन गया है। ऐसे में 1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की प्रक्रिया और साथ करता बढ़ जाती है संस्कारों का दायित्व बनता है कि वह बेरोजगार हुए मजदूरों को अपने यहां काम दे। रोजगार दे, उनकी आर्थिक मदद करें मजदूरों के बारे में महात्मा गांधी ने कभी कहा था कि किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है।
उद्योगपति मालिक या प्रबंधक समझने के बजाय लोग अपने आप को ट्रस्टी समझे। 1886 में शिकागो में शुरू हुआ और 1923 में भारत में प्रचलित मजदूर दिवस मजदूरों की माली हालत सुधारने के उद्देश्य से शुरू हुआ था। जो आज तक अपने उद्देश्य से कोसों दूर है। ऐसे में हम सबका दायित्व बनता है कि मजदूर, श्रमिक, प्रवासी मजदूर सहित सभी ऐसे लोगों के लिए अच्छा वातावरण, सहयोगात्मक रवैया, और सकारात्मक सोच बनाए रखें ताकि वे लोग मेहनत के साथ अपने काम को अंजाम देते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दें।