गाजियाबाद। अभी कुछ समय पहले की बात है जब स्वास्थ्य विभाग गली मोहल्लों में छोटे मोटे क्लीनिक पर दबिश डालकर कार्रवाई करता था। आरोप होता था कि झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बन चुके हैं लेकिन कोरोना संक्रमण ने लोगों की राय के साथ स्वास्थ्य विभाग की रणनीति भी बदल दी है। अब यही तथाकथित झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र में फरिश्ते बन चुके हैं। यानी कि जिन पर कड़ी कार्यवाही की जाती थी आपसे देश को इस महामारी से बचाने ने कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण ने ग्रामीण क्षेत्र में अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की हार्ड इम्यूनिटी और उनके साथ फरिश्ते के रूप में झोलाछाप डॉक्टर मौजूद हैं जिसके चलते निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना की तबाही नहीं बचा सकता जितना शहरी क्षेत्र में संक्रमण ने उत्पात मचाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में सरकार का पूरा फोकस है ताकि संक्रमण ग्रामीण क्षेत्र में अधिक ना फैल सके। इसके लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। जहां कम डिग्री वाले स्थानीय डॉक्टर्स को प्राथमिकता दी जा रही है। इस संबंध में प्राइवेट डॉक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने विस्तृत जानकारी दी और साथ ही बताया कि सरकार की यह पहल पर सकारात्मक कदम है।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों को शहरी क्षेत्र में बेहद महंगा इलाज मिल रहा है। वहीं कुछ दिन पहले तक नौबत यहां तक पहुंच चुकी थी कि ऑक्सीजन, ऑक्सीमीटर, बेड,वेंटिलेटर के लिए युद्ध स्तर पर मारामारी हो रही थी। हालांकि अब इस मामले में कुछ कमी जरूर आई है लेकिन शहरी क्षेत्र में प्राइवेट नर्सिंग होम,हॉस्पिटल और क्लिनिक्स का इलाज इतना महंगा है कि मध्यम वर्गीय परिवार को बेहद दयनीय आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्र पर विस्तृत प्रभाव देखने को मिल सकता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में तथाकथित झोलाछाप डॉक्टर का सस्ता इलाज, आत्मीयता,आत्मा बल और सहयोग कोरोना संक्रमण को मुंहतोड़ जवाब देने में सहायक सिद्ध होगा।