गाजियाबाद। ज़िंदगी में कुछ नया और अलग कर गुजरने का जज्बा हो तो, किसी भी काम के लिए उम्र की आड़े नहीं आती है. मेहनत और लगन से सपनो को हक़ीक़त में बदला जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाले आदर्श अरोड़ा ने. महज़ 14 साल की छोटी सी उम्र में आदर्श ने वो कर दिखाया है जो आमतौर पर 22 से 24 साल की उम्र लोग करते हैं।
गाजियाबाद के प्रीज़ीडियम स्कूल पढ़ने वाले कक्षा 9 के छात्र आदर्श अरोड़ा ने महज़ 14 साल की उम्र में कंप्यूटर साइंस के दर्जन भर कोर्स ऑनलाइन व ऑफलाइन पूरे कर लिए हैं. जिसमे से ऑनलाइन कोर्स मिशिगन यूनिवर्सिटी अमेरिका से लैंग्वेज पाइथन, हावर्ड यूनिवर्सिटी से सीएस 50, सीएस 50 ए वन हावर्ड यूनिवर्सिटी से पूरे किए हैं. कोर्स पूरा करने के बाद विश्विद्यालयों से उन्हें प्रमाण पत्र भी दिए गए हैं.
आदर्श अरोड़ा बताते हैं जब वो पांचवी कक्षा में थे तब उन्हें स्कूल में रोबोटिक्स पढ़ाई जाती थी. रोबोटिक्स सीखने के दौरान मन में प्रोग्रामिंग सीखने का विचार आया तो “सी-प्रोग्रामिंग भाषा” सीखनी शुरू की. जिसके बाद अन्य प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी रुचि बढ़ने लगी और सी प्लस प्लस कोर जावा एडवांस्ड जावा भी सीखना शुरू किया. तमाम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखने के बाद विभिन्न विदेशी विश्विद्यालयों से ऑनलाइन सर्टिफिकेशन कोर्स किये। आदर्श अपना प्रेरणा सोत्र अपने पिता गोपाल अरोड़ा को मानते हैं। जिन्होंने आदर्श की प्रतिभा को पहचाना और उसके हर सपने को अपना माना. यहीं से आदर्श के पिता ने ठान लिया कि उनके प्रतिभावान बेटे की क्षमताओं का पूरा विस्तार करना है. जिसके लिए उन्होंने दिन-रात योजनाबद्ध तरीके से मेहनत की और आज इसका फल दुनिया के सामने है. प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखने के बाद आदर्श दो एंड्रॉइड एप्पलीकेशन बना चुके हैं. जो गूगल प्ले स्टोर पर ज्योमेट्री मॉन्स्टर और स्पेस एडवेंचर के नाम से मौजूद हैं. दोनों गेमिंग ऐप्स हैं।
गौरतलब है कि आदर्श के पास न्यूर्याक सिटी स्थित अल्फर्ड यूनिवर्सिटी से जोनाथन ऐलन स्कॉलरशिप के तहत 84 हजार डालर देकर ग्रेजुएशन करने का ऑफर आया था लेकिन आदर्श ने इस ऑफर को ठुकरा दिया. आदर्श का सपना कैलिफ़ोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करना है। आदर्श की मां कविता अरोड़ा बताती हैं आकाश बचपन से ही काफी अलग मिजाज का था. आमतौर पर बच्चे छोटी उम्र में खेलकूद में ज्यादा ध्यान लगाते हैं लेकिन आदर्श में बचपन से ही कुछ अलग चीज है और करने का जज्बा था. बचपन में आदर्श कार्टून आदि तक नहीं देखता था. टीवी पर डिस्कवरी, नेशनल जियोग्राफी आदि सीखने वाले कार्यक्रम देखा करता था.