
नई दिल्ली। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की दूसरी लहर के दौरान कर्जदारों को राहत देने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी को केंद्र सरकार को एक प्रतिनिधित्व देने के लिए कहा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के संपर्क साधने के दौरान पीठ ने कहा, ‘अधिक से अधिक हम याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार को अपना प्रतिनिधित्व देने की अनुमति दे सकते हैं।’ कई प्रयासों के बावजूद याचिकाकर्ता से संपर्क न कर पाने के बाद पीठ ने कहा कि वह याचिका पर 11 जून को विचार करेगी।
इस जनहित याचिका में केंद्र को सभी ऋण के लिए छह महीने की अवधि या कोविड -19 की स्थिति जारी रहने तक मोरेटोरियम देने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि बैंक या वित्तीय संस्थान छह महीने की अवधि के लिए किसी भी नागरिक या व्यक्ति या किसी कॉरपोरेट निकाय की संपत्ति की नीलामी को लेकर कोई कार्रवाई नहीं करें। याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि कोविड-19 महामारी में दूसरी लहर को देखते हुए छह महीने की अवधि के लिए किसी भी खाते को गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित नहीं किया जाना चाहिए।