सभी कोरोना मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं है एंटीबॉडी कॉकटेल

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नई दिल्ली. एंटीबॉडी कॉकटेल का उपयोग सिर्फ गंभीर या जान की जोखिम वाले मरीजों के लिए ही किया जाना चाहिए। आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. निर्मल के. गांगुली ने कहा कि चूंकि यह (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी) एक अत्यधिक महंगा उत्पाद है, इसलिए सभी संक्रमित व्यक्तियों के लिए इसका उपयोग न करें। 
डॉ. गांगुली की राय है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कारगर हैं, क्योंकि वे लक्षित एपिटोप के खिलाफ बने होते हैं। इनके इस्तेमाल से खास एंटीबॉडी का निर्माण होता है और ये कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार होते हैं। 
आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने कहा कि हमारे पास अब भी ये सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस को कृत्रिम रूप से तैयार किया गया। न ही इस बात के सबूत हैं कि यह जोनोटिक इंफेक्शन के रूप में आया। उन्होंने कहा कि कुछ भी निर्णायक रूप से कहने के पहले हमें सबूत मिलने का इंतजार करना होगा।

डॉ. गंगाखेडकर ने यह भी कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि वे (प्लाज्मा और रेमडेसिविर का तर्कसंगत उपयोग) कोरोना के नए वैरिएंट के एकमात्र कारण हैं। कुछ दिनों में हमें पता चल जाएगा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कोविड और इसके प्रकारों के खिलाफ कैसे काम करती हैं।
बता दें, कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं और टीकों की कमी के बीच भारत की प्रमुख दवा कंपनी जाइडस कैडिला ने हल्के कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए अपने एंटीबॉडी कॉकटेल के इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई से अनुमति मांगी है। दावा किया जा रहा है कि यह एंटीबॉडी कॉकटेल कोरोना संक्रमण को बेअसर कर सकता है। इसका नाम ZRC-3308 रखा गया है।

जाइडस के मुताबिक, जानवरों पर किए गए ट्रायल में यह एंटीबॉडी कॉकटेल फेफड़ों की क्षति को कम करने में असरदार पाया गया है। यह दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का कॉकटेल है, जो प्राकृतिक एंटीबॉडी की नकल करता है जो शरीर में संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।