इमरान सरकार के पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी के फैसले से स्कूलों और विश्वविद्यालयों के इस्लामीकरण की आशंका बढ़ गई है। इमरान सरकार पहले चरण में प्राइमरी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को शामिल करेंगी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की इस योजना के तहत कुरान का अनुवाद पढ़ना, नमाज और हदीस (पैगंबर मोहम्मद के उपदेश और काम) को सीखना अनिवार्य किए जाने की योजना है।
इमरान सरकार के शिक्षा प्रणाली में इस बदलाव के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि प्रत्येक स्कूल और कॉलेज को इन विषयों को पढ़ाने के लिए हाफिज (कुरान को कंठस्थ करने वाला व्यक्ति) और कारी (कुरान पढ़ने वाला) की नियुक्त करनी है। इमरान सरकार के इस फैसले पर आलोचकों का मानना है कि नई शिक्षा प्रणाली से पाकिस्तान में इस्लामिक मौलवियों का प्रभाव और सांप्रदायिकता बढ़ेगी, जिससे सामाजिक ताने-बाने को बहुत नुकसान होगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में अकादमिक क्षेत्र से जुड़े अब्दुल हमीद नैय्यर ने बताया कि नई शिक्षा प्रणाली के तहत उर्दू, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान का भारी इस्लामीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि इस्लामिक अध्ययन के अलावा छात्रों को कुरान के 30 चैप्टर पढ़ने जरूरी होंगे। बाद में उन्हें यह पूरी किताब भी पढ़नी होगीं अब्दुल हमीद नैय्यर ने बताया कि आलोचनात्मक सोच आधुनिक ज्ञान का मूल सिद्धांत है, लेकिन सरकार पाठ्यक्रम के माध्यम से ऐसे विचारों को बढ़ावा दे रही है, जो इसके विपरीत हैं।