चिकित्सक बताते हैं कि बीमारी के लक्षणों के प्रति मरीज की लापरवाही ही कुछ मामलों में उन्हें बेहद गंभीर स्थिति तक लेकर चली जाती है।
सीने में यदि बहुत अधिक कफ जम गया है तो फेफड़े सही से काम करना बंद करने लगते हैं। ऐसे में सीने में दर्द, दबाव, जलन आदि समस्याएं महसूस होने लगती हैं। श्वास नली ठीक से अपना काम नहीं कर पाती है। ऐसे में यदि सीने में कफ होने लगता है तो पहले ही चिकित्सक को सूचित करें नहीं तो आगे चलकर स्थिति ऐसी होने लगती है कि मरीज की समस्याएं और भी बढ़ जाती है।
खांसी होने पर अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन कोरोना होने पर लंबे समय तक खांसी चलना सेहत के लिए अच्छा संकेत नहीं है। बिना कफ वाली खांसी है तब तो और भी जरूरी है कि आप चिकित्सक को बताएं नहीं तो आगे चलकर आपको सांस लेने में समस्या, सीने में दर्द, चुभन और जलन की समस्या भी हो सकती है। समय रहते ध्यान नहीं दिया तो निमोनिया भी हो सकता है और आगे स्थितियां इतनी भी बिगड़ सकती है कि जान पर बन सकती है।
कोरोना होने पर बार-बार बुखार आना-जाना चलता रहता है लेकिन यदि ये बुखार लंबे समय बना हुआ रहता है और तापमान भी बहुत अधिक रहता है तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यदि बुखार 6-7 दिन तक बना हुआ है तो स्थिति आगे जाकर हाथों से निकल सकती है और तापमान यदि 100 से ऊपर है तब मरीज को घर पर न रखें।
ऑक्सीजन लेवल गिरना कोई अच्छी बात नहीं है, ये खतरे की घंटी है। ऐसे मरीज को घर पर रहने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए। ऑक्सीजन लेवल यदि 92 से ऊपर नहीं जाता है तो आपको चिकित्सक की देखरेख में रहना चाहिए नहीं तो आगे चलकर यह और भी कम हो सकती है। मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और सांस बैठने लगती है इसलिए ऑक्सीजन लेवल को लेकर लापरवाही न करें।