गाजियाबाद। गाजियाबाद लोहा विक्रेता मंडल की डॉ.अतुल कुमार जैन की अध्यक्षता में संस्था के कार्यालय पर व्यापारियों के साथ एक बैठक हुई जिसमें केंद्रीय और राज्य माल और सेवा कर के संबंध में आ रही समस्याओं के विषय पर गहन चर्चा हुई और उनके समाधान पर भी विचार विमर्श हुआ । उपस्थित व्यापारियों ने विक्रेता द्वारा समय से रिटर्न फाइल ना करने के कारण क्रेता पर टैक्स की जिम्मेदारी डालने की समस्या बताई और कानून के इस प्रावधान को संशोधित करने के लिए सुझाव दिया कि क्रेता ने पूरा टैक्स देकर एक पंजीकृत व्यापारी से माल खरीदा है तो उसके उपरांत जिम्मेदारी रिटर्न भरने इत्यादि की उस विक्रेता की है उसके लिए क्रेता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।1111 किसी भी तरह के प्रावधान की अवहेलना या गलती के कारण यदि कोई पेनल्टी आरोपित की जाती है तो उस पर ब्याज की दर बहुत अधिक है इस पर व्यापारियों का सुझाव था कि ब्याज की दर बैंक की दर के अनुरूप होनी चाहिए ।
यदि कोई वाहन पर माल सहित चेकिंग के दौरान कोई गलती पाई जाती है और वाहन को माल सहित रोका जाता है तो विभाग द्वारा यह नियम है कि व्यापारी अपील करते समय 25% का भुगतान करेगा तभी अपील मान्य होगी विचाराधीन होगी इस पर व्यापारियों का सुझाव था कि क्योंकि संपूर्ण कीमत का माल और वाहन विभाग के कब्जे में है तो अपील के लिए 25% की मांग अनुचित है और यह जमा नहीं करानी चाहिए ।
नए नियम के अनुसार यदि वाहन माल सहित किसी भी गलती से जाने या अनजाने के कारण अगर सचल दल द्वारा रोका जाता है तो अब 36 प्रतिशत दंड के रूप में जमा करने का प्रावधान बनाया गया है जिसके लिए व्यापारियों की राय है कि यह नियम पूर्व की तरह रहना चाहिए बल्कि संपूर्ण 36 परसेंट को टैक्स के रूप में ही जमा किया जाना चाहिए जिससे बाद में उसका समायोजन किया जा सके। चर्चा के दौरान एक और विषय प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार द्वितीय अपील के लिए किसी भी तरह का अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन अभी तक नहीं किया गया है न्याय हित में और व्यापार हित में इसका गठन किया जाना भी आवश्यक है ।
व्यापारियों ने एक और समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया कि नए प्रावधान के अनुसार क्रेता की जिम्मेदारी लगाई गई है कि वह सुनिश्चित करें कि विक्रेता को ई-इनवॉइस जारी करनी है या टैक्स इनवॉइस जबकि क्रेता के पास इस तरह का कोई भी साधन नहीं है कि वह यह सुनिश्चित कर सके कि विक्रेता ने e-invoice के स्थान पर टैक्स इनवॉइस दी है इसलिए इस तरह की खरीद को अवैध नहीं माना जाना चाहिए और क्रेता की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए ,इसके साथ ही यह भी समस्या उठाई गई की जहां पर e-invoicing बनाई जा रही है उन व्यापारियों को ई वे बिल बनाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए यह दोहरा कार्य समाप्त किया जाना चाहिए।
केंद्रीय माल और सेवा कर विभाग के अंतर्गत ऑडिट से संबंधित आने वाली समस्याओं पर भी विचार विमर्श हुआ और एचएसएन कोड द्वारा व्यापारियों को आ रही अड़चनों पर भी चर्चा की गई और यह तय किया गया कि उपरोक्त सभी समस्याओं के लिए सीजीएसटी विभाग, एसजीएसटी विभाग और जीएसटी काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारियों के सम्मुख निवेदन करके समाधान कराया जाएगा।
बैठक में डॉ.अतुल कुमार जैन के अतिरिक्त जय कुमार गुप्ता,राजकुमार अग्रवाल, दीपक सिंघल,अविनाश चंद्र, महेश कुमार गुप्ता ,दीपक गर्ग,सतीश बंसल, इंद्र मोहन कुमार, अनिल कुमार मोहनलाल अग्रवाल, सुधीर कौशिक सीए सचिन गुप्ता और विकास जैन इत्यादि उपस्थित रहे।
