तानी मुट्ठियां अशासकीय स्कूल के शिक्षकों ने, कहा- अनुदान बंद हुआ तो करेंगे आंदोलन

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देहरादून। सहायता प्राप्त अशासकीय स्कूलों में अनुदान खत्म करने का मामला तूल पकड़ने लगा है। प्रदेशभर के अशासकीय स्कूल के शिक्षक एवं कर्मचारियों ने इस मामले पर मुठ्ठियां तान ली हैं। शिक्षक और कर्मचारियों का साफ कहना है कि अगर स्कूलों के अनुदान से किसी भी रूप में छेड़छाड़ हुई तो प्रदेशभर व्यापी आंदोलन किया जाएगा।

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी ने रविवार को ऑनलाइन बैठक की। जिसमें संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि कुछ दिन पहले शासन की ओर से जारी एक आदेश में अशासकीय स्कूलों का अनुदान खत्म करने की चेतावनी दी गई है। शिक्षा निदेशालय ने भी हर जिले में इस आदेश पर कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं। पहले ही राज्य सरकार अशासकीय स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार करती आई है। अब विद्यालयों की समीक्षा के आधार पर अनुदान खत्म करने तक की चेतावनी दी जा रही है। 

शर्मा ने कहा कि अशासकीय विद्यालयों को अनुदान वेतन वितरण अधिनियम 1971 (उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम 2006 की धारा 42 में प्रतिस्थापित करते हुए विनियम 40) के अंतर्गत मिलता है, जिससे छेड़छाड़ संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अनु सचिव का आदेश नियम विरुद्ध है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि इस सप्ताह मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मिलकर उन्हें शिक्षकों की मांगों से अवगत करवाया जाएगा। सकारात्मक परिणाम न मिलने पर अगले सप्ताह 21 दिसंबर से प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। बैठक में प्रांतीय संरक्षक भोपाल सिंह सैनी, सलाहकार समिति के प्रांतीय संयोजक वी कुमार, कोषाध्यक्ष लीलाधर पंतोला समेत 56 प्रतिनिधि शामिल रहे

वेतन बजट समय पर जारी नहीं होने पर भी रोष

बैठक में अशासकीय स्कूलों के लिए समय पर वेतन बजट जारी नहीं किए जाने पर भी शिक्षकों ने रोष जताया। संघ के प्रदेश महामंत्री जगमोहन सिंह रावत ने कहा कि अशासकीय विद्यालयों के साथ भेदभाव का प्रमाण यह है कि वेतन बजट समय से जारी नहीं किया जाता, शासनादेश में घोषणा के बावजूद अशासकीय शिक्षकों, कर्मचारियों के आयुष्मान गोल्डन कार्ड अभी नहीं बनाए जा रहे हैं। 25 अगस्त 2020 को शिक्षा मंत्री के साथ हुई बैठक का कार्यवृत्त तीन महीने बाद भी नहीं आ पाया है। 

अन्य प्रमुख मांगें

– तदर्थ सेवा के समस्त लाभ दिए जाएं

– अर्हता प्राप्त प्रभारी प्रधानाचार्यों को डाउनग्रेड में पदोन्नत किया जाए

– उच्चीकृत विद्यालयों में पूर्व की सेवा के आधार पर चयन, प्रोन्नत वेतनमान दिए जाए

– स्कूलों के रिक्त पद समाप्त न किये जाएं

– चयन प्रोन्नत वेतनमान में वित्त विहीन सेवाओं का लाभ दिया जाए 

– वंचित शिक्षकों के जीपीएफ या एनपीएस की कटौती की जाए