गरमपानी (नैनीताल) : अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास निधि (आइफैड) के तहत जलागम विभाग को लाखों करोड़ों रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। मकसद है ग्रामीण क्षेत्रों का विकास तथा काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाना। पर हालात एकदम उलट हैं आए दिन जलागम विभाग में एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं। बेतालघाट ब्लॉक के बसगांव क्षेत्र में बने दस लाख रुपये की लागत से बने भवन की हालत गुणवत्ता की हकीकत बयां कर रहा है। जलागम विभाग के कार्यालय के लिए बेतालघाट ब्लॉक की सिमलखा यूनिट को अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास निधि के तहत करीब दस लाख रूपये अवमुक्त हुए। मकसद था गांव में जलागम कार्यालय का निर्माण ताकि कार्यालय में बैठकर विभागीय कार्य निपटाए जा सके साथ ही किसानों के लिए भी योजनाएं तैयार की जाए। सिमलखा यूनिट की निगरानी में जोर-शोर से कार्य भी शुरु किया गया। पर एक वर्ष भी नहीं गुजरा है कि नवनिर्मित लाखों रुपये के भवन में भ्रष्टाचार की दरारें गहरी होती जा रही है।
भवन के चारों ओर झाड़ियां उग चुकी है। नए भवन के दरवाजों के समीप गहरी होती दरारें बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है। सुरक्षा दीवार तक ध्वस्त हो चुकी है। जिससे गुणवत्ता की हकीकत उजागर हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि जलागम विभाग सरकारी बजट की धड़ल्ले से बर्बादी कर रहा है। मिलीभगत से सरकारी धन को ठिकाने लगाया जा रहा है। आलम यह है कि उद्घाटन के बावजूद कार्यालय में ताला लगा हुआ है। जलागम के कर्मी समीपवर्ती पंचायत घर में बैठकर कार्य कर रहे हैं। रातीघाट बेतालघाट मोटर मार्ग पर बसगांव के समीप बने भवन को जाने वाला रास्ता भी खस्ताहाल है। लाखो रुपये खर्च होने के बावजूद रास्ता तक दुरुस्त नहीं किया गया है। क्षेत्रवासियों ने मामले में उच्च स्तरीय जांच की भी मांग उठाई है।
विभाग के यूनिट अधिकारी जगदीश पंत का कहना है कि जलागम विभाग ने पैसा दिया है। ग्राम पंचायत के माध्यम से निर्माण करवाया गया। भुगतान हो चुका है। यदि भवन में दिक्कत आई है तो ग्राम पंचायत से ही दुरुस्त करवाया जाएगा। सिमलखा की ग्राम प्रधान लक्ष्मी देवी ने बताया कि मेरे कार्यकाल से पहले बना है। हमने कोई निर्माण नहीं कराया। निरीक्षण किया जाएगा। जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।