30 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी दून में, परियोजनाओं पर स्मार्ट सिटी की बैठक में दिया गया प्रस्तुतीकरण

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देहरादून। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत दून में 30 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। बस का स्वरूप कैसा होगा, इसके लिए एक बस (प्रोटोटाइप) इसी सप्ताह दून पहुंचेगी। यह जानकारी स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने स्मार्ट सिटी की उच्च स्तरीय संचालन समिति (एचपीसी) को दी। समिति ने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रोटो बस को महिलाओं को समर्पित किया जाए।

मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई एचपीसी की बैठक में स्मार्ट सिटी के कायरें पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। समिति ने इस बात पर कंपनी की पीठ थपथपाई कि दून के तीन सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित किया जा चुका है। वहीं, स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस सेवा की जानकारी देते हुए सीईओ ने बताया कि शहर में कुल 30 बसों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बस को एक बार चार्ज करने पर 150 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। इसमें 26 सीट हैं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए व्हीलचेयर के साथ हाइड्रोलिक रैंप भी हैं।

बस में ड्राइवर इंफॉर्मेशन सिस्टम के साथ इमरजेंसी बटन, मोबाइल चार्जिंग सिस्टम समेत कई सुविधाएं हैं। इसके अलावा बैठक में पलटन बाजार पथ विकास, स्मार्ट रोड, सीवरेज, पेयजल सिस्टम, स्मार्ट टॉयलेट, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, परेड ग्राउंड जीर्णोद्धार, वाटर एटीएम, मॉर्डन दून लाइब्रेरी, स्मार्ट पोल/स्मार्ट सिग्नल आदि की प्रगति बताई गई। समिति ने निर्देश दिए कि सभी कार्य गुणवत्ता के साथ समय पर पूरे किए जाएंगे।बैठक में महापौर सुनील उनियाल गामा, सचिव लोनिवि आरके सुधांशु, सचिव शहरी विकास शैलेष बगोली आदि उपस्थित रहे।

ग्रीन बिल्डिंग पर जल्द शुरू होगा काम

बैठक में जानकारी दी गई कि कलेक्ट्रेट परिसर में ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण को लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं। जल्द बिल्डिंग का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।

सर्विस डक्ट के बाद बनाई जाए सड़क

एचपीसी की बैठक में सीईओ डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि स्मार्ट रोड के तहत 80 फीसद भाग पर सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है, जबकि सर्विस डक्ट का काम 260 मीटर भाग पर किया जा चुका है। जहां सड़क खोदी जा रही है, वहां प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कार्य भी किया जा रहा है। समिति ने निर्देश दिए कि सर्विस डक्ट का काम पूरा होने के बाद ही मरम्मत कार्य किए जाएं। ताकि मरम्मत कार्य बेहतर ढंग से किए जा सकें।