यूपी :- मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ ज़मीन पर दोबारा मालिकाना हक पाने और कथित तौर पर बनी ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका को खारिज कर दिया है श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थान से ईदगाह को हटाने के मामले में वादी पक्ष के विष्णु जैन, हरीशंकर जैन और रंजन अगिनहोत्री ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था।

कोर्ट ने कहा कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत सभी धर्मस्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली रखी जानी है इस कानून में सिर्फ अयोध्या मामले को अपवाद रखा गया था।
श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और बाकी लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर जो समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी।
बता दें कि 26 सितंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व और शाही ईदगाह को हटाने को मांग को अदालत में वाद दायर किया गया था। याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था। हालांकि इस याचिका को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान ट्रस्ट का कहना है कि इस केस से उनका कोई लेना देना नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया और ईश्वर के स्थान पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उसी ढांचे के नीचे स्थित है। यह मुकदमा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन और तीन अन्य ने दाखिल कराया था।