नाग नागिन और सपेरा के बाद सपा में नजर आया नेवला

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गाजियाबाद। समाजवादी पार्टी में नित्य नए स्वांग नजर आते हैं। कहीं बगावत की चिंगारी सुलगती है तो कहीं मेहरबानियों की बारिश भी होती है। ऐसे में समाजवादी पार्टी में एक नई परंपरा प्रचलित हो गई है। जिसके अनुसार किसी भी पदाधिकारी, नेता या कार्यकर्ताओं को उसके उपनाम से पुकारा जाने लगा है। ऐसा ही कुछ नजारा कुछ समय पहले समाजवादी पार्टी में नजर आया। जब नाग नागिन की जोड़ी के रूप में दो पार्टी के पदाधिकारियों को संबोधित किया जाने लगा था। हालांकि यह संबोधन मुंह पर नहीं पीठ के पीछे ही प्रचलन में दिखाई दिया था।

इसके बाद समाजवादी पार्टी में सपेरे की एंट्री होती है। जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने नाग नागिन को कब्जे में कर लिया यानी पूरे काबू में करते हुए सपेरे ने अपनी राजनीति को इस तरह से आगे बढ़ाया कि लोग देखते रह गए लेकिन कहा जाता है कि ताश की बाजी में नहले पर दहला मौजूद होता है। अब सपेरे की कहानी आगे बढ़ी तो पिक्चर में एंट्री ली है सपा के नेवाले ने। जोकि कभी बेहद सक्रिय होता है तो कभी ठंडे बस्ते में पड़ा दिखाई देता है।

इन दिनों सपा पार्टी कार्यालय पर नेवले की चर्चा बेहद ज़ोरशोर से की जा रही है। एक पार्टी के युवा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिस युवा नेता को नेवले की उपाधि दी गई है उसके बारे में एक चीज प्रचलित है कि वह किसी भी अभियान, आंदोलन, विरोध प्रदर्शन को अकेले ही अंजाम देने की रणनीति अपनाता है। बस इसी के चलते उस युवा सपाई को पार्टी के लोग नेवला बुलाते हैं। वह हर आंदोलन में स्वयं को आगे रखता है। दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर अपना निशाना साधा है और मीडिया में फोटो छपवाने के बाद पूरी फाइल बनाकर दिल्ली स्थित पंडारा रोड या लखनऊ के सत्ता के गलियारों में स्वयं अपने गुणगान करता हुआ नजर आता है।

बड़ी बात यह है कि नेवले महाराज को पार्टी की विचारधारा, पार्टी द्वारा किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन, पार्टी की बैठक आदि से कोई लेना-देना नहीं। समाजवादी पार्टी में जहां टीम वर्क को महत्व दिया जाता है। वही नेवला नामक युवा नेता एकला चलो की नीति अपनाते हुए स्वयंभू कर्मठ नेता की उपाधि अपने आपको देता हुआ नजर आता है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता नेवला महाराज से दूरी बनाने का काम कर रहे हैं। वहीं एक अन्य कार्यकर्ता का कहना है कि पार्टी कार्यालय पर चाहे कितनी ही महत्वपूर्ण बैठक हो या कोई बड़ा पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने आ रहा हो।

नेवला महाराज के दर्शन नहीं हो सकते, लेकिन अचानक पता चलता है कि नेवला महाराज ने जिला प्रशासन, सांसद के आदि खिलाफ किसी मामले को लेकर धरना प्रदर्शन या भूख हड़ताल आदि शुरू कर दी है। ऐसे में पार्टी की छवि को नुकसान होता है क्योंकि समाजवादी पार्टी टीम वर्क में यकीन रखती है और उसी पर चलकर समाजवाद के नारे को बुलंद कर रही है।