नई दिल्ली :- 2018 में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के चलते राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 83 साल के फादर स्टैन स्वामी को झारखंड नामकुम थाना क्षेत्र के बगईंचा में स्थित उनके घर से गुरुवार की रात को गिरफ्तार किया है। मूल रूप से केरल के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी करीब पांच दशक से झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। करीब 20 मिनट तक एनआइए की टीम स्वामी के घर में रही। फिर उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई।
संभव है कि उनको रिमांड पर भी लिया जा सकता है या फिर ट्रांजिट रिमांड पर उन्हें दिल्ली ले जाए। या शुक्रवार को फादर को NIA कोर्ट में पेश किया जाए।
बता दें कि इस केस में अब तक की बड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और वकीलों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जो अपने ट्रायल का इंतजार कर रहे हैं। कई बीमारियों से जूझ रहे स्टैन स्वामी, इस केस में गिरफ्तार होने वाले सबसे ज्यादा उम्र वाले शख्स हैं। पहले भी कई बार उनसे इस सिलसिले में पूछताछ की जा चुकी है।
यह केस 31 दिसंबर, 2017 का है जब पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक कार्यक्रम में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जांचकर्ताओं का कहना है कि एल्गार परिषद में मिले कार्यकर्ताओं ने इसके लिए साजिश रची थी और भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके चलते अगले दिन हिंसा हुई थी।
इस गिरफ्तारी का विरोध होना शुरू हो गया है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक ट्वीट कर कहा कि ‘फादर स्टैन ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने में लगाई है। इसलिए मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुप करा रही है क्योंकि इस सरकार के लिए कोल माइन कंपनियों का फायदा आदिवासियों की जिंदगी और रोजगार से ज्यादा जरूरी है।’