नई दिल्ली:- भारत के सभी राज्यों में लगभग 6 महीनों से सभी स्कूल बंद हैं। ये सभी बंद स्कूल एक सप्ताह पहले ही खुले हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण अभी स्कूलों में न तो पहले जैसे बच्चों की संख्या है और ना ही रौनक। बता दें कि सरकार ने 9-12 वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइंस जारी किए थे।
बच्चों को स्कूल आने के लिए अपने पैरंट्स की लिखित अनुमति भी जरूरी कर दी गई थी। जिन राज्यों में स्कूल खुले हैं वहां पैरंट्स कोरोना के डर के कारण बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं या भेजने में संकोच कर रहे हैं।
केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार, 21 सितंबर से देश के जो राज्य 9-12वीं तक के स्कूल खोलने के इच्छुक थे वह SOP के अनुसार स्कूल खोल सकते थे, लेकिन स्कूल खुलने के बाद अब छात्रों की उपस्थिति काफी कम है। पैरंट्स कोरोना वायरस के डर के कारण बच्चों को स्कूल भेजने में संकोच कर रहे हैं। 21 सितंबर को खुले कई स्कूलों ने तो छात्रों की कम उपस्थिति को देखते हुए 30 सितंबर तक कैंपस बंद करने की घोषणा कर दी है।
बच्चों के लिए स्कूल द्नारा है पूरी तैयारी
दरअसल, स्कूलों ने पैरंट्स की लिखित अनुमति के बाद ही छात्रों को पढ़ाई के लिए आने दिया जाएगा। इसके अलावा जो छात्र स्कूल नहीं आ सकते उनके लिए ऑनलाइन क्लासेज जरूरी होंगी। इसी के साथ स्कूल द्नारा यह भी कहा गया है कि इंटरवल और फ्री टाइम में छात्रों को एक जगह एकत्र होने की अनुमति नहीं मिलेगी।
स्कूल परिसर में छात्रों और सभी कर्मचारियों के लिए मास्क पहनना जरूरी। स्कूल में थर्मल स्क्रीनिंग और हैंड सैनेटाइजर की व्यवस्था कि गई है। इसी के साथ पैरंट्स का कहना है कि स्कूल उन्हें भरोस दे रहे हैं कि छात्रों की सुरक्षा के लिए हर तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस का डर अभी भी है।
कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह हमें डरा रहा है। हालांकि अगर स्कूल बच्चों की सुरक्षा की गारंटी लेते हैं तो उन्हें स्कूल भेजने में कोई दिक्कत नहीं है।