फ़िल्म समीक्षा: माय क्लाइंट्स वाइफ

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शैली: रहस्य / रोमांच
भाषा: हिंदी
रिलीज की तारीख: 31 जुलाई 2020
प्लेटफ़ॉर्म: थियेटर / ओटीटी विवरण – शेमारू बॉक्स ऑफिस
आयु उपयुक्तता: 16+
मनोरजन मीटर:
निर्देशन: 4/5
संवाद: 3.5/5
पटकथा: 4/5
पाश्र्व संगीत: 4/5
कुल मिला के: 4/5

डिजिटल रिलीज़ के इस दौर में शेमारूमें बॉक्स ऑफिस अपनी पहली डिजिटल पेशकश ‘माय क्लाइंट्स वाइफ’ के साथ हाज़िर है| ‘राशमोन इफ़ेक्ट’ पर आधारित ये फिल्म एक मनोवैज्ञानिक रहस्य रोमांच से भरपूर थ्रिलर है। फिल्म की कहानी एक शादीशुदा जोड़े के बीच एक रात की हिंसक घटना के कई संस्करण बताती है। जब पति के वकील इस रहस्य को सुलझाना शुरू करते हैं तो कथानक और गहरा जाता है| यह सारा खेल क्या है? कौन सही है और कौन गलत है? आरोपों के पीछे मकसद क्या है? क्या कोई रहस्य छिपा है? क्या वकील इस रहस्य की गुथ्थी को सुलझा पाते हैं? इन सभी सवालों के जवाब जान ने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

इस फिल्म में अदाकारी के तीन मजबूत स्तंभ हैं मुख्य कलाकार| अभिमन्यु सिंह (रघुराम सिंह) छोटा रोल होने के बावजूद उत्कृष्ट रूप में हैं। एक सीधे साधे आरोपित जेल जाने वाले पति से लेकर एक बुरी छवि वाले पति तक, उन्हें विभिन्न भावनाओं को चित्रित करने का अवसर मिलता है, और वह पूरी तरह किरदार में घुस जाते हैं |

वहीँ दूसरी तरफ, द फैमिली मैन, असुर, फिल्मिस्तान आदि में अपने उत्कृष्ट अभिनय कौशल के लिए जाने वाले शारिब हाशमी (रघुराम सिंह के वकील मानस वर्मा) यहां पूरी फॉर्म में हैं। एक ऐसे वकील के रूप में, जो दोनों पक्षों की बात सुनता है और जिसका ज़िम्मा है सच और झूठ का पता लगाना, ऐसे किरदार में शारिब बेशक अपनी एक अलग छाप छोड़ जाते हैं |

इन दो बेहतरीन कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद अगर इस फिल्म को कोई सही मायने में चार चाँद लगाता है तो वो और कोई नहीं बल्कि अपने साधारण से लेकर शातिर से लेकर एक चरित्रहीन महिला सिंदूर सिंह के किरदार में, सुंदर और प्रतिभाशाली अंजलि पाटिल हैं। उन्होंने इनमें से प्रत्येक पहलू को सहजता और विश्वास के साथ निभाया है। बाकी सहायक कलाकार ठीक हैं।

निर्देशन उत्कृष्ट है और पटकथा बेहतरीन है| अपने १२० मिनट के सफर में फिल्म पूरी तरह रहस्य और रोमांच बनाये रखती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है | फिल्म का संपादन सराहनीय है। फिल्म का एक और मज़बूत पक्ष है इसका कई मौकों पर दहला देने वाला बैकग्राउंड संगीत जो आपको पुराने दिनों के सस्पेंस थ्रिलर्स की याद दिलाता है।

फिल्म का बेहद रोमांचक क्लाइमेक्स इसका सबसे मज़बूत पक्ष है और यह ना केवल आपको बुरी तरह से चौंकाता है बल्कि आपको सोचने पर भी विवश करता है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये कुछ ऐसा है जो आपने कभी पहले देखा नहीं होगा या जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर पाएंगे| मनोवैज्ञानिक रहस्य थ्रिलर प्रेमियों के लिए यह एक ज़रूरी फिल्म है। सबसे अच्छी बात यह है कि डार्क थीम और विषय के बावजूद, फिल्म कभी भी अश्लील नहीं होती है और इसे परिवार के साथ भी देखा जा सकता है। तो अगर अभी तक आपने नहीं देखी तो जरूर देखे यह फिल्म !!

यह शेमारू बॉक्स ऑफिस की पहली डिजिटल रिलीज़ है और बहुत ही अच्छी शुरुआत है ! उम्मीद है शेमारू भविष्य में और बेहतरीन फिल्मों से हमारा मनोरंजन करता रहेगा|

फ़िल्म समीक्षक
दीपक चौधरी