Ghaziabad : भागीरथ सेवा संस्थान के कैमकुस ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर ने कराया वेबिनार

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  • अंतराष्ट्रीय मादक पदार्थ दुर्व्यसन एवं तस्करी निषेध दिवस पर आयोजित हुआ वेबिनार

गाज़ियाबाद :- भागीरथ सेवा संस्थान द्वारा संचालित कैमकुस ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर ने अंतराष्ट्रीय मादक पदार्थ दुर्व्यसन एवं तस्करी निषेध दिवस के अवसर पर जूम ऐप (Zoom App) के माध्यम से एक वेबिनार (Webinar) का आयोजन किया गया। यूनाइटेड नेशन की इस वर्ष की थीम ‘Better knowledge for better care’ के आधार पर युवाओं को जागरूक करने के लिए वेबिनार का विषय रखा गया, “मादक पदार्थ दुर्व्यसन की रोकथाम में सोशल मीडिया का उपयोग : संदेश, सोशल मीडिया एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका”।

वेबिनार में श्री संजय व्यास, ज़िला समाज कल्याण अधिकारी तथा श्री रजनीश कुमार पांडेय, ज़िला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी विशिष्ट अतिथि के रूप में वेबिनार में जुड़े। जबकि विश्वविख्यात क्लीनिकल साईकोलॉजिस्ट डॉ दिवाकर सुकुल इस वेबिनार के मुख्य वक्ता थे जिन्होंने लंदन से ही वेबिनार में जुड़ कर विषय को पूर्णता के साथ रखा और तमाम पहलुओं पर सूक्ष्मता के साथ विचार-विमर्श किया। इस Webniar में करीब 100 लोगों ने हिस्सा लिया। वेबिनार में महिलाओं, युवाओं के अलावा डी-एडिक्शन के क्षेत्र में काम करने वाली कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। वेबिनार में प्रत्येक आयु वर्ग के साथ साथ युवाओं में ड्रग्स दुर्व्यसन की बढ़ती प्रवृत्ति, इसका उनके शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, मादक पदार्थ के सेवन से पैदा होने वाली सामाजिक-आर्थिक समस्याएं, अपराध पर उसका प्रभाव, ड्रग्स का बच्चों पर प्रभाव, नशा सेवन से सुरक्षा और सुरक्षा के उपाय और इस कार्य मे सामाजिक संगठन, स्वयं सेवी संस्थाओं और सोशल मीडिया की उपयोगिता जैसे तमाम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।

वेबिनार में संजय व्यास ने कहा कि, निश्चित रूप से मादक पदार्थों के सेवन की जो प्रवृत्ति है वह लोगों में बढ़ती जा रही है। हर आयु वर्ग के लोग चाहे वह बुजुर्ग हों, प्रौढ़ हो, युवा हों या किशोर… सभी में यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। जो सबसे ज्यादा खतरनाक बात है, वह ये है कि किशोरों का मादक पदार्थों की तरफ बहुत तेजी से आकर्षित होना और उसका व्यसन करना है। क्योंकि जो यह कच्ची उम्र होती है वह विकास की उम्र होती है। इस उम्र में अगर बच्चे दुर्व्यसन में लग जाएंगे तो न सिर्फ उनके शारीरिक के विकास पर उसका असर पड़ेगा बल्कि उनके मानसिक और व्यक्तित्व विकास पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि यही किशोर एक दिन युवा भारत की तस्वीर को पेश करेंगे, यही किशोर देश का भविष्य है और इन्हीं के कंधों पर भारत के विकास की जिम्मेदारी है। इसलिए किशोरों में ड्रग्स के सेवन का चलन होना यह वाकई एक बहुत गंभीर समस्या है।

रजनीश पाण्डेय ने सुझाव देते हुए कहा कि,इस समस्या से निपटने के लिए सबसे अचूक अस्त्र जो हमारे पास है वह है इनको जागरूक करना। और जागरूकता के इस मिशन में एनजीओ सरकारी तंत्र और प्रशासनिक तंत्र के हाथ पैर होते हैं। ये वह माध्यम हैं जिसके जरिए हम अपनी बात आम जन तक पहुंचा पाते हैं। और आजकल एक सशक्त माध्यम सोशल मीडिया इसमें जुड़ गया है । सोशल मीडिया के जरिए भी हम अपनी बात को बहुत दूर तक और बहुत कम समय में पहुंचा सकते हैं। तो यह दोनों ही बहुत ही महत्वपूर्ण है जिसके जरिए नशे के उन्मूलन के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इस कार्य में NGOs की भूमिका निश्चित रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है। अब आवश्यकता यह है कि कुछ प्रभावी कदम उठाए जाएं कुछ तेजी लाई जाए इस काम में ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि NGOs अपने स्तर पर गंभीर लोगों और युवाओं के छोटे छोटे ग्रुप बनाकर उनके ज़रिए नशा उन्मूलन के प्रति लोगों को प्रेरित कर सकते हैं।

विषय विशेषज्ञ क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ दिवाकर सुकुल ने बताया कि नशे में जो बुराइयां हैं और इसका जो शरीर और मन मस्तिष्क में बुरा असर पड़ता है, इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। नशा कैसे हमें शारीरिक-मानसिक, भौतिक और आर्थिक रूप से पिछड़ने पर मजबूर कर रहा है, हमें कैसे बैकफुट पर ला रहा है हमें कैसे विकास चक्र में पीछे की तरफ धकेल रहा है इसके प्रति लोगों को जागरूक करना हमारी ज़िम्मेदारी है और NGOs इस मकसद में बेहतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र संचालकों से भी इस मुहीम का हिस्सा बनने की अपील की।

भागीरथ सेवा संस्थान के निदेशक अमिताभ शुकुल ने बताया कि आज से ही भारत सरकार नशा मुक्त भारत चैंपियन की शुरुआत कर रही है। निश्चित रूप से सरकार की मदद से हम एनजीओस के लोग अपनी सामाजिक भागीदारी निभाते हुए युवाओं और छात्रों के साथ मिलकर इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे और नशा उन्मूलन के लिए अथक प्रयास करेंगे।

भागीरथ सेवा संस्थान द्वारा संचालित भागीरथ पब्लिक स्कूल, भागीरथ स्पेशल स्कूल, उड़ान डे केयर सेंटर और KCSER के समस्त स्टाफ और डिप्लोमा कर रहे सभी छात्र-छात्राओं ने भी Webinar में हिस्सा लिया।