गाजियाबाद :- कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषित लॉकडाउन सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिकों पर मुसीबत बन रहा है। लॉकडाउन के बाद रोजगार व जमा पूंजी ख़त्म होने के बाद प्रवासी श्रमिकों ने अपने घर जाने के लिए कदम उठाये तो उन्हें पुलिस के डंडे खाने पड़ रहे हैं। जिला प्रशासन श्रमिकों के खाने पीने की समुचित व्यवस्था करने में लाचार नजर आ रहा है। घर जाने की आपा धापी में लॉकडाउन के नियमों व शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग ) की धज्जियां उड़ रही हैं। इससे प्रशासन की चिंताएं बढ़ गयी हैं।
गाजियाबाद के घंटाघर स्थित रामलीला मैदान पर सोमवार को हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिक जमा हैं और वहां पर दो गज की शारीरिक दूरी मजाक बनकर रह गयी है। बहुत से श्रमिकों के पास मास्क भी नहीं है। सेनेटाइजर की बात तो कोसों दूर है। इन मजदूरों का हुजूम देखकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
हालांकि जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय व एसएसपी कलानिधि नैथानी ने आज घंटाघर तथा रामलीला मैदान का जायजा लिया और व्यवस्था को दुरुस्त कराने का पूरा प्रयास किया। एसएसपी ने दावा किया कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गयी हैं और लॉकडाउन के नियमों व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन से उनके घरों को भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से आज कुल आधा दर्जन ट्रेनें 7 से 8 हजार प्रवासी श्रमिकों को लेकर रवाना होंगी जबकि इससे पहले पिछले तीन दिनों के दौरान ट्रेनें कई हजार श्रमिकों को लेकर रवाना हो चुकी हैं।
जब से सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को ट्रेनों से उनके घरों तक पहुंचाने की घोषणा की है तब से दिल्ली से सटे गाजियाबाद में श्रमिकों का रेला पहुंच रहा है। चाहे यूपी बॉर्डर हो या आनंद विहार बस अड्डा, मेरठ रोड पर क्लाउड नाइन फार्म हाउस व पांडव नगर स्थित सुख सागर फार्म हाउस व प्रशासन द्वारा बनाये गए आश्रय स्थलों में भारी संख्या में श्रमिक जमा हैं। इन जगहों पर श्रमिकों का आगमन लगातार जारी है जिसके चलते प्रशासन को उनके भोजन -पानी की व्यवस्था करने में भी भारी दिक्क़त सामने आ रही हैं।
घंटाघर रामलीला मैदान में चूँकि ट्रेन से जाने वाले श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग व अभिलेखों की जांच की जा रही है जिसके चलते वहां पर भारी संख्या में श्रमिक जमा हैं। वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो पा रहा है। श्रमिक मास्क का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।