नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का रुझान आ्ने लगे हैं। ऐसे में लोगों की नजर दिल्ली की मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर लगी हुई हैं। दिल्ली में इन सीटों पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ओखला विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले शाहीन बाग में तो पिछले 58 दिनों से महिलाएं रात-दिन धरने पर बैठी हुई हैं।भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में शाहीन बाग को मुद्दा बनाया था तो अरविंद केजरीवाल ने मुस्लिम बहुल इलाकों से पूरे चुनाव प्रचार में दूरी बनाई रखी थी। वहीं, कांग्रेस शाहीन बाग के समर्थन में खड़ी थी।
यहां देखें दिल्ली में मुस्लिम बहुल सीटें का हाल…
दिल्ली की सियासत में मुस्लिम मतदाता 12 फीसदी के करीब हैं। दिल्ली की कुल 70 में से 8 विधानसभा सीटों को मुस्लिम बहुल माना जाता है, जिनमें बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर और किराड़ी सीटें शामिल हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं। साथ ही त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण माने गए हैं।
ओखला: दिल्ली की ओखला की सीट पर AAP के मौजूदा विधायक अमानतुल्ला खान के सामने कांग्रेस से पूर्व विधायक परवेज हाशमी मैदान में डटे हुए हैं। वहीं, बीजेपी से ब्रह्म सिंह शुरुआती रुझान में आगे चल रहे हैं । वहीं अमानतुल्ला खान पीछे चल रहे हैं।
मटिया महल: मटिया महल सीट से AAP से शोएब इकबाल तो कांग्रेस के एम मिर्जा आमने-सामने हैं तो बीजेपी से रविंदर गुप्ता किस्मत आजमा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के शोएब इकबाल आगे चल रहे हैं.
बल्लीमरान :बल्लीमरान सीट से कांग्रेस के हारुन यूसुफ के सामने AAP से इमरान हसन मैदान में हैं तो बीजेपी से लता सोढ़ी किस्मत आजमा रही हैं। इस बार AAP के इमरान हसन आगे चल रहे हैं।
सीलमपुर: सीलमपुर सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक चौधरी मतीन के खिलाफ AAP के अब्दुल रहमान मैदान में हैं। यहां बीजेपी से कौशल मिश्रा मैदान में है। यहां आम आदमी पार्टी आगे चल रही हैं।
मुस्तफाबाद: मुस्तफाबाद सीट से कांग्रेस के अली मेंहदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से हाजी युनूस मैदान में हैं। यहां बीजेपी के जगदीश प्रधान आगे चल रही है।
आपको बताते जाए कि दिल्ली में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है। वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से पांच-पांच प्रत्याशी मुस्लिम मैदान में उतरे हैं और दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ इन्हें उतारने का दांव लगाया है।