नई दिल्ली। दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) का वोट शेयर 54.34 प्रतिशत वोटों के साथ 2015 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से सिकुड़ रहा है, जिसके चलते इस बार 2020 का चुनाव अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है। आम आदमी पार्टी ने वर्ष 2012 में अपने गठन के बाद से दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर को बदलकर रख दिया है।
इससे पहले तक राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव केवल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच होते आ रहे थे। वहीं 2013 से विधानसभा चुनाव पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के बारे में हो गए हैं। वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 24.55 प्रतिशत वोट, भाजपा को 33.07 प्रतिशत वोट और आप को 29.49 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। इसके बाद आप और कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, जो केवल 49 दिनों तक चली।
वर्ष 2015 में पुन: मतदान में 70 विधानसभा सीटों में से आप ने 67 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की। बाकी तीन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस इस बार अपना खाता भी नहीं खोल सकी। आप का वोट शेयर बढक़र 54.34 प्रतिशत हो गया। भाजपा का वोट शेयर 32.19 के आस-पास रहा, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 9.65 हो गया।
हालांकि, यह आप का सबसे अधिक वोट प्रतिशत रहा। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद से शहर ने लोकसभा और एमसीडी के चुनावों में आप का वोट प्रतिशत गिरते देखा, जो कि 2013 के चुनाव से भी कम था। हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न चुनावों में मतदान के पैटर्न में अंतर होता है।
दिल्ली में वर्ष 2017 में एमसीडी चुनाव हुए थे। इस दौरान आप का वोट शेयर घटकर 26 प्रतिशत हो गया, जबकि कांग्रेस 21 प्रतिशत थी। वहीं भाजपा का वोट प्रतिशत 37 प्रतिशत रहा। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में आप का वोट शेयर घटकर मात्र 18 प्रतिशत रह गया, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 32.90 प्रतिशत वोट मिले थे। आप पांच लोकसभा सीटों पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई और उसके तीन उम्मीदवार अपनी जमानत गंवा बैठे।
भाजपा का वोट शेयर 2019 के आम चुनाव में बढक़र 56.58 प्रतिशत हो गया, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर 46.40 प्रतिशत था। कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी 2014 के लोकसभा चुनाव के 15.10 प्रतिशत से बढक़र 2019 में 22.46 प्रतिशत हो गया। इस बार का दिल्ली विधानसभा चुनाव न सिर्फ आप के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह तीनों पार्टियों -आप, भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है।
देखना अब यह है कि बाजी कौन मारता है। आप अपनी सत्ता बचा पाती है, या भाजपा 20 साल का वनवास तोड़ पाती है, या फिर कांग्रेस एक बार फिर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो पाती है, जिसने लगातार 15 सालों तक यहां शासन किया था। परिणाम 11 फरवरी को पता चलेगा।