नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छोटी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। बीते पांच साल में उन्हें आंदोलनकारी, अराजकतावादी और यहां तक की आतंकवादी कहा गया लेकिन इन सबसे बेपरवाह केजरीवाल अपनी सरकार के साथ काम पर लगे रहे और अब वे एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।
राजधानी में सिर्फ दो दिनों बाद मतदान होना है। जुझारू केजरीवाल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनका मानना है कि हिंदू बनाम मुसलमान की विभाजनकारी राजनीति के बजाय काम की राजनीति का समय आ गया है।
प्रश्न : भाजपा का कहना है कि सत्ता में वापस आने के बाद आप कुछ महीनों के लिए ही मुफ्त पानी और बिजली मुहैया कराएगी?
उत्तर : जब तक केजरीवाल यहां है, तब तक यह सब मुफ्त रहेगा। मैं इसे आईएएनएस के रिकॉर्ड पर कह रहा हूं। यह हमारे घोषणापत्र में है और मैं आपको अपनी गारंटी देता हूं। पानी, बिजली, अस्पताल, स्कूल, महिलाओं के लिए यात्रा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीर्थयात्रा, हमारी सरकार के सत्ता में रहने तक सभी मुफ्त रहेंगे। हमारे लिए कोई वित्तीय बोझ नहीं है। बजट में लाभ दिख रहा है, जबकि पूर्व में शीलाजी (पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित) के समय में यह घाटे में रहा करता था। कर में कटौती की गई है। मैंने यह धन भ्रष्टाचार को कम करके बचाया है।
प्रश्न : अगर 11 फरवरी को मतपेटियों को खोले जाने पर आप की झाड़ू स्वीप करती है, तो इससे मतदाताओं और भारतीय लोकतंत्र को क्या संदेश जाएगा?
उत्तर : यह मेरी तरफ से संदेश नहीं होगा, बल्कि दिल्ली के लोगों की तरफ से होगा, जो यह है कि अब लोग केवल स्कूलों और अस्पतालों जैसे मुद्दों पर मतदान करेंगे। इसलिए यहां अब हिंदू-मुस्लिम मुद्दा काम नहीं करेगा क्योंकि लोग इसे खारिज करेंगे। वे जाति की राजनीति को खारिज करेंगे। अगर मैं बनिया हूं, तो मैं सभी बनियों को खुद को वोट डालने के लिए नहीं कहता। मैं सिर्फ उन्हें कहता हूं कि मैंने आपके बच्चों के लिए शिक्षा मुहैया कराई है।
अगर आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा चाहते हैं, अगर आप अपने परिवार के लिए अच्छी चिकित्सा देखभाल चाहते है और अगर आप 24 घंटे बिजली चाहते हैं तो मुझे वोट दें। ये लोग हमारा वोट बैंक है। इस तरह से 21वीं सदी में हम नया भारत बनाएंगे। लेकिन यह नया भारत गालियां देने और हिंदू-मुस्लिम से जुड़ी विभाजनकारी राजनीति करने से नहीं बनेगा।