जेवर एयरपोर्ट के जिन 6 गांवों के किसानों ने जमीन दी हैं, उनके रहन-सहन में बड़ा बदलाव आया है। किसान परिवार कार और बाइक खरीद रहे हैं। जिन परिवारों के पास कार नहीं हैं, वह नई कार खरीद रहे हैं। जिनके पास पहले से कार है, वह दूसरी खरीद रहे हैं। अकेले रोही गांव में पिछले तीन महीनों में 50 से रॉयल एनफील्ड मोटर साइकिल युवकों ने खरीदी हैं। 20 साल के योगेश अब रॉयल एनफील्ड से कॉलेज जाते हैं। हरेंद्र ने स्कॉर्पियो खरीदकर अपने पिताजी को दी है। उनके पिता का कई वर्षों से यह सपना था। रिटायर फौजी कृपाल सिंह के पास महेंद्रा बोलेरो पहले से थी, अब उन्होंने काले रंग की महेंद्रा स्कॉर्पियो भी खरीद ली है।
बदल गई जीवन शैली
अब यहां के किसान परिवारों के लिए परी चौक और अट्टा चौक आना-जाना आम बात है। नोएडा के जीआईपी मॉल और ग्रेटर नोएडा के ग्रैंड वेनिस मॉल पूरा परिवार एकसाथ शॉपिंग करने जाता है। युवाओं को अब गांव पिछड़ा लग रहा है, वह मथुरा, ग्रेटर नोएडा और अलीगढ़ शहर में बसने की प्लानिंग कर रहे हैं। 23 अप्रैल 2019 को पहले किसान ने मुआवजा लिया था। बमुश्किल नौ महीनों में यहां सबकुछ बदल चुका है। 1200 किसानों को एक करोड़ या इससे ज्यादा पैसा मिला है।
किसानों के लिए पैसा बना सवाल
जेवर के पास बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर पूरा सरकारी अमला पुरजोर लगा हुआ है। मंगलवार को पेश किए गए यूपी के बजट में एयरपोर्ट के दूसरे चरण पर काम शुरू करने के लिए सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि आवंटित की। बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार की उच्चस्तरीय बैठक हुई है। लेकिन, जिन 6 गांवों रोही, परोही, किशोरपुर, दयानतपुर, रनहेरा और बनवारीवास की जमीन पर एयरपोर्ट बन रहा है, वहां का माहौल क्या है, ग्रामीण क्या कर रहे हैं और क्या सोच रहे हैं, इसका जायजा आपके अपने समाचार पत्र हिन्दुस्तान ने लिया है। पेश है मुख्य संवाददाता पंकज पाराशर की रिपोर्ट।
जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में छह गांवों की 1,334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। बदले में 5,823 किसानों को 3,167 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा दिया गए हैं। कुछ किसान परिवार ऐसे हैं, जिन्हें 5-5 करोड़ रुपये मुआवजा मिला है। किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यही है कि इस पैसे से क्या करें।
कुछ लोगों ने गौतमबुद्ध नगर जिले के अधिग्रहण मुक्त गांवों में जमीन खरीदी है। कुछ लोगों ने बुलंदशहर, अलीगढ़ और बदायूं में जमीन खरीद ली हैं। प्रोपर्टी कारोबार से जुड़े और इस क्षेत्र में सक्रिय योगेश शर्मा ने बताया, सभी छह गांवों में ब्रोकर सक्रिय हैं। वह दूसरे जिलों में जमीन खरीदवाने के लिए ऑफर दे रहे हैं। ये लोग बाकायदा गांवों में पोस्टर और वॉल पेंटिंग के जरिए प्रचार कर रहे हैं।
योगेश बताते हैं कि कमोबेश हर किसान ने कम या ज्यादा जमीन कहीं न कहीं खरीदी है। रोही गांव के प्रधान भगवान सिंह का कहना है कि किसानों को पैसा तो मिल गया लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि इसका क्या करें। किसान खेती करना ही जानता है। हमारे यहां एक कहावत भी है कि जमीन का पैसा जमीन में रुकता है। इसलिए करीब 80 फीसदी किसानों ने इस पैसे से जमीन खरीदी है।
इंश्योरेंस और एफडी में सबसे ज्यादा पैसा बैंकों को मिला
पैसा आने के बाद इस इलाके में बड़े पैमाने पर कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं। इन गांवों के आसपास प्राइवेट और सरकारी बैंकों ने नई शाखाएं खोली हैं। पिछले छह महीने के दौरान आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने अपनी शाखाएं खोली हैं। बड़ी संख्या में किसान परिवारों ने बॉन्ड, म्युचुअल फंड, एफडी और इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी हैं। पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर कुलदीप सिंह ने बताया कि इन छह गांवों में अरबों रुपये किसानों को मिले हैं। हर बैंक ने कोशिश की कि उसे ज्यादा से ज्यादा पैसा मिले। नए खाते खोले गए हैं। इंश्योरेंस और एफडी में सबसे ज्यादा पैसा बैंकों को मिला है।