क्रेडिट कार्ड 6 हजार लोगों के नाम पर लेकर ठगी, दस्तावेज बरामद 25 हजार लोगों के

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ग्रेटर नोएडा: 6 हजार लोगों के नाम पर क्रेडिट कार्ड बनवाकर ठगने वाले 2 लोगों को एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया है। ग्रेनो वेस्ट में बिसरख कोतवाली पुलिस की मदद से इन्हें पकड़ा गया। दोनों के मोबाइल में 25 हजार से ज्यादा लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे व्यक्तिगत डेटा मिले हैं। 19 कंपनियों की सैलरी स्लिप, 19 क्रेडिट कार्ड, 29 आधार कार्ड, 8 मोबाइल, डीएल, कार आदि भी बरामद हुआ है।

कई राज्यों में फैला था सिंडिकेट

गिरफ्तार युवकों ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के पीए से भी ठगी की थी। दूसरों के नाम पर क्रेडिट कार्ड जारी कराने के बाद रुपये निकालकर फेंक देते थे। बैंक की शिकायत के बाद हुई जांच में इन्हें पकड़ा गया। छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में इनका सिंडिकेट फैला था। एएसपी एसटीएफ राजकुमार मिश्रा ने बताया कि नौकरीपेशा व्यक्तियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी में कुछ बदलाव कर बैंकों से क्रेडिट कार्ड बनवाते थे। क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद उसकी सारी रकम निकालकर फेंक देते थे। बैंक से शिकायत मिलने के बाद जांच हुई तो पता चला दिल्ली एनसीआर में बैठकर फर्जीवाड़ा हो रहा है।

22 हजार लोगों के पैन और आधार नंबर
गौड़ सिटी मॉल चौराहे पर मंगलवार रात कौटिल्य शर्मा और राज सक्सेना को गिरफ्तार किया गया। कौटिल्य हाथरस और राज सक्सेना राजस्थान का रहने वाला है। दोनों फिलहाल ग्रेनो वेस्ट की गौर सिटी-2 सोसायटी में रहते थे। इनके पास से कई आधार कार्ड, सैलरी स्लिप, मोबाइल, पैन कार्ड, डीएल और क्रेडिट कार्ड मिले हैं। मोबाइल में करीब 25 हजार लोगों के आधार नंबर, पैन और मोबाइल नंबर मिले हैं।



यूं बना था गिरोह

राज 2007 में नौकरी करने दिल्ली आया था, तब उसकी मुलाकात कौटिल्य से हुई थी। दोनों एक बैंक के लिए क्रेडिट कार्ड बनवाने का काम करते थे, साथ ही ग्राहकों के कागजात भी लाते थे। काम के दौरान इनकी मुलाकात छत्तीसगढ़ निवासी धीरज सोलंकी से हुई थी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के पीएस से ठगी में 18 महीने तक जेल में रहने के बाद छूटे तो राजस्थान चले गए। यहां श्रीगंगानगर निवासी मूलचंद वर्मा को अपने साथ जोड़ लिया। मूलचंद इनकी ओर से उपलब्ध कराए गए आधार कार्ड और पैन कार्ड में कंप्यूटर से फोटो बदलता था। इसके बाद इन्हीं दस्तावेजों की मदद से क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते थे। इन्होंने अपने गैंग में एक ब्लूडर्ट कूरियर कंपनी में काम करने वाले पंकज वर्मा को भी जोड़ा था। पंकज गलत पते पर क्रेडिट कार्ड पहुंचाने में मदद करता था।

ऐसे करते थे फ्रॉड
जिन ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वानी होती थी, वे सबसे आसान शिकार होते थे। राज और कौटिल्य ऐसे लोगों के क्रेडिट कार्ड उनके सामने ही काटते थे। लेकिन, काटते समय ध्यान रखते थे कि मैग्नेटिक स्ट्रिप सुरक्षित रहे। इसके बाद ऐसे कार्ड का क्लोन बनाकर रुपये निकाल लेते थे।

दूसरी तरह से ऐसे लोगों को शिकार बनाते थे, जिन्हें कार्ड की जरूरत होती थी। ऐसे लोगों का आधार कार्ड, पैन कार्ड, सैलरी स्लिप आदि मॉल-मार्केट में क्रेडिट कार्ड का आवेदन कराने वालों से 200-300 में खरीद लेते थे। फिर इनके दस्तावेजों में फोटोशॉप से संशोधन कर एड्रेस बदलकर आवेदन कर देते थे। कार्ड आने पर कूरियर कंपनी का पंकज इनके बताए पते पर डिलिवर कर देता था। हर आवेदन में आरोपित अपनी ही फोटो लगाते थे। बैंककर्मियों को चकमा देने के लिए दाढ़ी, मूछ और हेयरस्टाइल बदल लेते थे। पुलिस बैंककर्मियों की संलिप्तता की भी जांच कर रही है।

दस्तावेज देते समय रखें ध्यान
1. केवल बैंक के अंदर जिम्मेदार कर्मचारी को ही अपने दस्तावेज दें।
2. जिस काम के लिए पेपर दे रहे हैं, क्रॉस कर उसका उल्लेख करते हुए हस्ताक्षर करें।
3. बैंक कभी भी किसी थर्ड पार्टी को लिमिट बढ़वाने के लिए ग्राहकों के पास नहीं भेजता।
4. इस तरह के किसी फ्रॉड की जानकारी होने पर फौरन बैंक और पुलिस को सूचना दें।
5. किसी भी तरह का ओटीपी किसी को न बताएं और मोबाइल भी दूसरों को न दें।