Delhi Assembly Elections: भाजपा का हथियार बनेंगे केजरीवाल के सामने Dushyant Chautala

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Delhi Assembly Elections में दो-दो हाथ करने को तैयार हरियाणा के नेता अपनी पार्टियों की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की जननायक जनता पार्टी ने मिलकर भाजपा को चुनौती दी थी। दिल्ली चुनाव में यह तस्वीर पूरी तरह से बदली नजर आएगी। हरियाणा में केजरीवाल के साथी रहे दुष्यंत चौटाला इस बार दिल्ली में भाजपा के पाले में खड़े नजर आएंगे। दिल्ली के रण में भाजपा अपनी सरकार में सहयोगी दुष्यंत चौटाला को अरविंद केजरीवाल के सामने खड़ा कर राजनीतिक लाभ हासिल करने की फिराक में है।

हरियाणा में भाजपा और जजपा का गठबंधन है। 40 विधायकों वाली भाजपा ने 10 विधायकों वाली जजपा के साथ गठबंधन कर दूसरी बार सरकार बनाई है। इससे पहले जींद उपचुनाव में आम आदमी पार्टी हरियाणा में जजपा का सहयोग कर चुकी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा व जजपा का गठबंधन था। जजपा ने सात और आम आदमी पार्टी ने तीन लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा। सोनीपत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक में उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की हार का बड़ा कारण जजपा और आप का गठबंधन रहा है।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच सहमति नहीं बनी तो दोनों दलों ने अलग-अलग ताल ठोंकी। आप की हरियाणा इकाई ने मात्र 40 सीटों पर फोकस करते हुए चुनाव लड़ा था। इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि अरविंद केजरीवाल का पूरा ध्यान दिल्ली के चुनाव पर था, जिस कारण वह हरियाणा के विधानसभा चुनाव पर ज्यादा गौर नहीं कर पाए। जननायक जनता पार्टी ने अपने विरोधी दलों के जीत सकने वाले उम्मीदवारों को टिकट देकर 10 सीटें हासिल करने में कामयाबी प्राप्त कर ली है।

जजपा की भाजपा के साथ चल रही सीटों पर बातचीत

दिल्ली के चुनाव में भाजपा हरियाणा में अपनी सहयोगी जजपा के साथ गठबंधन कर सकती है। आउटर दिल्ली की आधा दर्जन सीटों पर जजपा का खासा प्रभाव है। जाट बाहुल्ट चार सीटों पर जजपा किसी भी दल का गणित बिगाडऩे की स्थिति में है। इनेलो यहां पर अपना एक विधायक जितवा भी चुका है। अब चूंकि इनेलो का जनाधार काफी कम हो गया, ऐसे में जजपा आउटर दिल्ली में भाजपा के लिए फलदायक साबित हो सकती है। भाजपा व जजपा के बीच गठबंधन को लेकर शीर्ष नेतृत्व से बातचीत चल रही है। दुष्यंत चौटाला आधा दर्जन सीटें मांग रहे हैं, लेकिन भाजपा उन्हें जाट बाहुल्य कुछ सीटें देने की चाह में है।

1998 में मिलकर लड़ चुके भाजपा और इनेलो

दिल्ली में भाजपा व इनेलो 1998 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ चुके हैैं। उस समय भाजपा ने इनेलो को नजफगढ़, महीपालपुर और बवाना तीन सीटें दी थी। इनमें बवाना आरक्षित विधानसभा सीट थी। हालांकि इनेलो तीनों सीटों पर चुनाव नहीं जीत पाई, लेकिन 2008 में नजफगढ़ से इनेलो की टिकट पर भरत सिंह पहली बार विधायक चुने गए थे। दुष्यंत चौटाला को लगता है कि आउटर दिल्ली में कई सीटें ऐसी हैैं, जहां जजपा अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला के प्रभाव का लाभ उठाते हुए नया राजनीतिक सिस्टम तैयार कर सकती है।

भाजपा का जाट नेतृत्व नहीं दुष्यंत के हक में

हरियाणा में भाजपा के जाट नेता नहीं चाहते कि दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक कद बढ़ाया जाए। भाजपा में जाट नेताओं बीरेंद्र सिंह, ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु की हाईकमान में अच्छी पकड़ है। इन जाट नेताओं को लगता है कि यदि संगठन में दुष्यंत चौटाला एंट्री कर गए तो भविष्य में दिक्कतें हो सकती हैं। हरियाणा की गठबंधन सरकार में हालाकि चार जाट मंत्री हैं, लेकिन भाजपा के जाट नेताओं का मानना है कि सरकार में जाट मंत्रियों का होना अलग बात है और भाजपा का प्रतिनिधित्व करना अलग बात है।