जयपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान हाईकोर्ट के दिए निर्णय में दखल देने से इंकार कर दिया है। आपको बताते जाए राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला, ड्राइवर व वाहन सहित 9 जनों का स्टॉफ मुहैया कराने के कानून रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 4 सितंबर 2019 को मिलापचंद डांडिया व विजय भंडारी की जनहित याचिकाओं को मंजूर कर राज्य सरकार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने वाले संशोधित कानून को रद्द कर दिया था। राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को राजस्थान मंत्री वेतन संशोधित अधिनियम 17 के सेक्शन 7 बीबी व 11 (2) के तहत आजीवन सरकारी आवास, ड्राइवर सहित वाहन व स्टाफ देने के प्रावधान को संविधान के समानता के अधिकार के विपरीत व मनमाना कहा था। राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के दिए निर्णय में दखल देने से इंकार कर दिया है।
आपको बताते जाए कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम-1956 में संशोधन करके धारा 7 (बीबी) के तहत राज्य में लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले को मुफ्त में मुख्यमंत्री या मंत्री के समान बंगला,राज्य और राज्य के बाहर भी स्वयं व परिवार के लिए ड्राइवर सहित सरकारी कार,बंगले पर टेलीफोन व संचार की सभी सुविधाएं और दस कर्मचारियों का स्टाफ देने का प्रावधान किया था।