दिल्ली गैंगरेप केस में मौत की सजा पा चुके दोषियों में से एक मुकेश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच मंगलवार दोपहर 12.30 बजे सुनवाई करेगी। बता दें कि दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति की ओर से खारिज की गई दया याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को नई याचिका दायर की। जिसमें उसने राष्ट्रपति की ओर से दया खारिज किए जाने के विरोध में अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
गौरतलब है कि 2012 में पैरामेडिकल की छात्रा का बर्बर सामूहिक बलात्कार हुआ था और उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया था। घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई थी। मुकेश (32) की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी।
चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा था कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे अधिक आवश्यक कुछ और हो ही नहीं सकता। साथ ही उन्होंने कुमार के वकील को शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी से संपर्क करने को कहा।
पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे। बता दें कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा मुकेश की दोषसिद्धी और मौत की सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका खारिज करने के बाद सिंह ने दया याचिका दायर की थी।
इधर इसी मामले के दूसरे दोषी पवन के पिता की याचिका को सोमवार को दिल्ली की अदालत ने खारिज कर दिया है। इस याचिका में मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें मामले के इकलौते गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए शिकायत की गई थी जिसको रद्द कर दिया गया था। आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी दोषियों के खिलाफ एक फरवरी को फांसी देने का दिन मुकरर किया है। इस फांसी की सजा को टालने के लिए सभी आरोपी एक एक कर कोर्ट में कोई ना कोई याचिका दाखिल कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति ए.के. जैन ने पवन के पिता की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में दोषी पवन के पिता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती गई दी थी, जिसमें एकमात्र गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाले आवेदन को खारिज कर दिया और दावा किया था कि वह गवाह था और उसका बयान विश्वसनीय नहीं था।