गाजियाबाद: कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच मंगलवार को नगर निगम के वॉर्ड-58 के लिए वोट डाले गए। सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक 37.68 प्रतिशत ही वोट डाले गए। वहीं, फरीदनगर के वॉर्ड-3 में 63.80 प्रतिशत मतदान हुआ। वॉर्ड-58 में मतदान के दौरान कुछ फर्जी वोट डालने पर हंगामा भी हुआ। एक पोलिंग एजेंट को लेकर प्रशासन और कांग्रेस नेताओं में झड़प हुई। वॉर्ड-58 के जोनल मैजिस्ट्रेट आदित्य प्रजापति ने बताया कि चुनाव शांतिपूर्ण रहा। बुधवार को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू की जाएगी।
EVM में बंद हुई प्रत्याशियों की किस्मत
वॉर्ड-58 से कांग्रेस के टिकट पर विकास खारी और बीजेपी के टिकट पर पवन शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा 3 अन्य प्रत्याशियों में सुरजीत, प्रदीप गुप्ता और प्रमोद कुमार शामिल हैं। वॉर्ड-58 में कुल मतदाताओं की संख्या 11792 थी। इनमें से 4444 लोगों ने वोट डाले, जो करीब 37.68 प्रतिशत रहा। वहीं, फरीदनगर के वॉर्ड-3 के सदस्य के लिए हुए उपचुनाव में कुल वोटर 1041 थे। इसमें कुल 664 वोट पड़े, जो करीब 63.80 प्रतिशत रहा।
वोटिंग के दौरान हुआ हंगामा
वॉर्ड-58 के लिए मतदान केंद्र विजय नगर के जेकेजी इंटरनैशनल में 11 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। इस सीट को पहले चुनाव में कांग्रेस नेता सुलतान सिंह खारी ने जीता था। हाल ही में उनका देहांत होने के बाद इस यह सीट खाली हो गई थी। उपचुनाव में मंगलवार को फर्जी वोटिंग को लेकर हंगामा हुआ। फर्जी वोट का मामला सबसे पहले 11:30 बजे सामने आया। जब शिवपुरी निवासी रमाकांत दुबे वोट डालने पहुंचे। वहां पता चला कि उनका वोट तो डल चुका है। इसको लेकर कांग्रेस वालों ने जमकर हंगामा किया। बाद में राहुल नामक युवक पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने आधार से रमाकांत का वोट डाल दिया। बाद में इस युवक को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसी दौरान एक पोलिंग एजेंट के बाहर से अंदर नहीं जाने को लेकर कांग्रेस नेताओं ने हंगामा किया।
कांग्रेस ने लगाया फर्जी वोटिंग का आरोप
उपचुनाव को लेकर बीजेपी के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बिजेन्द्र यादव, पार्षद दल नेता जाकिर अली सैफी समेत कई नेता मतदान केंद्र के बाहर रहे। इस दौरान कई बार दोनों पक्षों में फर्जी वोटिंग को लेकर हंगामा हुआ। कांग्रेस जिला अध्यक्ष बिजेंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने विपक्षियों की ओर से फर्जी वोट डालने आए 9 लोगों को पकड़कर प्रशासन को सौंपा। इस दौरान कई जगह प्रशासन की चूक भी सामने आई। एक बूथ पर EVM को जिस लकड़ी के कवर से किया था, उस पर महापौर पद हेतु लिखा था। हालांकि, बाद में उसे हटा दिया गया।