सुप्रीम कोर्ट से केंद्र ने की अपील, सात दिन में मिले मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मौत की सजा पाने वाले कैदियों को फांसी देने के लिए सात दिन की समय सीमा तय करने को याचिका दायर की है। गृह मंत्रालय की इस याचिका को निर्भया गैंगरेप केस में मृत्युदंड पाने वाले दोषियों को सजा देने में हो रही देरी को देखते हुए अहम माना जा रहा है।

याचिका में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने के बाद निवारक याचिकाएं दायर करने के लिए समय सीमा तय करने की मांग की गई है। सरकार चाहती है कि सक्षम अदालत से जारी डेथ वारंट हासिल करने के बाद मौत की सजा पाए अपराधी को दया याचिका दायर करने के लिए सिर्फ सात दिन दिए जाए।

सुप्रीम कोर्ट सभी सक्षम अदालतों, राज्य सरकारों और जेल अधिकारियों को आदेश दे कि दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिन में मौत की सजा पाने वाले अपराधी का डेथ वारंट जारी करें और उसके सात दिन के अंदर फांसी की सजा दें, भले ही उसके सह अपराधी की पुनर्विचार, निवारक और दया याचिकाएं लंबित हो।

उल्लेखीय है कि वर्ष 2012 में निर्भया के साथ गैंगरेप के बाद हत्या किए जाने के मामले में चार जनों विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार और पवन को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन पुनर्विचार, निवारक और दया याचिकाएं दायर किए जाने के कारण दोषियों को सजा देने में लगातार देरी हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने पवन की याचिका 20 जनवरी को खारिज कर दी थी। उसने दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने अपराध के समय नाबालिग होने के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि वह नई याचिका दायर करके मामले पर दोबारा प्रतिवाद नहीं कर सकता है। हाईकोर्ट ने चारों को एक फरवरी को फांसी देने के लिए नए डेथ वारंट जारी किए थे।