यूनिटेक का प्रबंधन केंद्र ने लिया अपने हाथ में, अब 12000 घर खरीदारों को राहत की उम्मीद

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उच्चतम न्यायालय ने कानूनी विवादों में उलझी यूनिटेक लिमिटेड का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के केंद्र के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने यूनिटेक के नए बोर्ड को कंपनी की समाधान रूपरेखा तैयार करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का वक्त दिया है। बता दें यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा तिहाड़ जेल में हैं। उन पर ग्राहकों के पैसे का हेर-फेर करने का आरोप है।

पीठ ने यूनिटेक के नए बोर्ड को कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्यवाही से दो महीने की छूट भी प्रदान की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रोफेशनल बोर्ड बनाने का विचार इसलिए लिया गया ताकि वे कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकें और घर खरीदरों के हितों को देखते हुए रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा कर सकें। एक बार जब सारी चीजें सही तरह से होने लगेंगी, उसके बाद हम यूनिटेक मामले पर नजर रखना छोड़ देंगे। 

12,000 परेशान मकान खरीदारों को मिल सकती है राहत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोर्ड द्वारा समाधान रूपरेखा की तैयारी की निगरानी के लिए वह शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करेगा। केंद्र ने शनिवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह करीब 12,000 परेशान मकान खरीदारों को राहत प्रदान करने के लिए यूनिटेक की अधर में लटकी परियोजनाओं को पूरा करने और यूनिटेक लिमिटेड का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के 2017 के प्रस्ताव पर फिर से विचार के लिए तैयार है। 

रमेश चंद्रा को नए बोर्ड का सदस्य बनाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा कैडर के रिटायर्ड आईएएस यदुवीर सिंह मलिक का नाम चेयरमैन और बोर्ड के मैनेजिंड डायरेक्टर के तौर पर मंजूर किया है। अदालत ने यूनिटेक के फाउंडर रमेश चंद्रा को बोर्ड मेंबर नियुक्त किए जाने से इनकार कर दिया।  सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड मेंबर के तौर पर एनबीसीसी के पूर्व सीएमडी एके मित्तल, एचडीएफसी क्रेडिला फाइनेंस सर्विस की चेयरमैन रेनू सूद कर्नाड, एम्बेसी ग्रुप के सीएमडी जीतू वीरवानी और हीरानंदानी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर निरंजन हीरानंदानी के नामों को मंजूरी दी।