जामिया हिंसा में बड़ा खुलासा: भेजे थे कई अलर्ट दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने, इग्नोर किया लोकल पुलिस ने

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दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा को लेकर पुलिस के कामकाज के तरीके को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जामिया के पास मथुरा रोड पर हुई हिंसक प्रदर्शन से पहले स्थानीय पुलिस को कई अलर्ट भेजे थे। मगर दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के अलर्ट को अनदेखा किया गया। यह जानकारी हिन्दुस्तान टाइम्स को सूत्रों के हवाले से मिली है। 

दिल्ली पुलिस की स्‍पेशल सेल (विशेष शाखा) ने 15 दिसंबर की सुबह संभावित हिंसक प्रदर्शन के बारे में स्थानीय इलाके की पुलिस को एक नहीं, बल्कि करीब 6 अलर्ट भेजे थे, लेकिन बार-बार चेतावनी को नजरअंदाज किया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि दक्षिण-पूर्व पुलिस जिले के अंतर्गत आने वाले स्थानीय अधिकारियों ने अगर अलर्ट पर काम किया होता तो स्थिति को हाथ से निकलने से रोका जा सकता था। 

अलर्ट को नजरअंदाज करने का परिणाम ये हुआ कि नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग घायल हो गए और 100 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हुए।  इसके बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और छात्रों समेत कई लोगों को हिरासत में लिया। वहीं दिल्ली पुलिस पर छात्रों के खिलाफ अत्यधिक बल का उपयोग करने का आरोप भी है।

पुलिस के सूत्रों से पता चलता है कि हिंसा के दिन पहला अलर्ट सुबह 9.41 बजे जिला पुलिस को भेजा गया था। अलर्ट हिंदी में लिखा गया था- उम्मीद की जा रही है कि प्रदर्शनकारियों का समूह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर इकट्ठा हो सकता है … पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए।”

करीब एक घंटे के बाद लगभग 11 बजे विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) ने स्थानीय पुलिस को एक और अलर्ट भेजा। इसमें चेतावनी दी गई थी कि स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों और आसपास के इलाकों के निवासियों सहित कम से कम 500 से 600 लोगों की भीड़ विरोध प्रदर्शन कर सकती है। जैसे ही प्रदर्शनकारी इकट्ठा होने लगे दोपहर 2 बजे के आसपास एक और अलर्ट भेजा गया। जिसमें स्थानीय पुलिस को सूचित किया गया कि सराय जुलैना चौक पर कम से कम 1,200 से 1,500 लोग पहले से ही इकट्ठा हो चुके हैं …। इसमें कहा गया कि सड़कों को बैरिकेड से बंद नहीं किया गया है और ट्रैफिक को रोकने के लिए पर्याप्त एक्शन लिए जाएं। 

लगभग एक घंटे बाद यानी दोपहर 3 बजे के बाद स्पेशल ब्रांच यानी विशेष शाखा ने फिर से अलर्ट जारी किया। जिसमें कहा गया, ‘600 से लोगों से अधिक की भीड़ जामिया विश्वविद्यालय इलाके से मथुरा रोड की ओर मार्च कर सकती है।’ इस अलर्ट में स्थानीय पुलिस को भी आवश्यक जगह पर बैरिकेड्स लगाने की सलाह दी गई क्योंकि स्पेशल ब्रांच को अंदेशा था कि भीड़ सड़क को ब्लॉक करने की योजना बना सकती है। इसके ठीक 15 मिनट बाद एक और अलर्ट जारी किया गया, जिसमें खुफिया शाखा ने बताया कि 500 से 700 प्रदर्शनकारी माता मंदिर रोड के एक अस्पताल के पास जमा हुए थे। यहां एक भी पुलिसवाला नहीं दिख रहा है। 10 मिनट बाद जारी अगले अलर्ट में, लगभग 3.30 बजे विशेष शाखा ने कहा कि केवल दो पुलिसकर्मी आसपास के क्षेत्र में देखे जा सकते हैं, जबकि लोगों की संख्या 1,000 पार कर चुकी है। कृपया आवश्यक कदम उठाएं।’

शाम 5 बजे के आसपास स्थानीय पुलिस को भेजे गए अलर्ट में सूचना दी गई थी कि पथराव शुरू हो गया था और प्रदर्शनकारियों की भीड़ में लोगों की संख्या 1,500 से 2,000 के बीच बढ़ गई थी। इस तरह से 15 दिसंबर यानी हिंसा वाले दिन स्थानीय पुलिस को 6 अलर्ट भेजे गए थे। दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, हिंसा दोपहर 3 बजे के बाद शुरू हुई। जामिया नगर पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी द्वारा दायर एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि दोपहर 3 बजे के आसपास स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था और मथुरा रोड की ओर मार्च कर रहे थे। प्राथमिकी में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस बूथ पर तोड़फोड़ की, बसों और सड़क पर टायर जलाए और पुलिस पर पथराव किया।