दक्षिण चीन सागर में आसियान देशों की संप्रभुता को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी

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चीन ने अमेरिका को सतर्क करने के लिए दो मिसाइलें दाग़ी

लॉस एंजेल्स (NNI Live) :- अमेरिका और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर में अन्तर्राष्ट्रीय जल मार्ग और इसके सीमावर्ती देशों की संप्रभुता ले कर ठन गई है। चीन की ओर से बुधवार की सुबह विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के टोही विमानों को सतर्क किए जाने के इरादे से दो मिसाइलें दागीं, तो अमेरिका ने भी फ़ौरी कार्रवाई में दो दर्जन बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अनेक शीर्ष अधिकारियों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगा कर एक तगड़ा संदेश देने की कोशिश की है कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय जहाज़ों की आवाजाही के लिए बाधक नही बनें।

अमेरिका के वाणिज्य विभाग का आरोप है कि चीन की दो दर्जन बहुराष्ट्रीय कंपनियों  ने  दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम सैन्य ठिकाने बनाने में चीनी सैन्य अधिकारियों की मदद की है। इन कृत्रिम सैन्य  ठिकानों की दुनिया भर में भर्तस्ना हो चुकी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने भी उन चीनी व्यक्तियों अथवा अधिकारियों  के विरुद्ध अमेरिका आने पर वीज़ा पर रोक लगाएगी। अमेरिका ने कड़े संदेश में यह भी कहा है कि चीन आसियान देशों को उनकी संप्रभुता को ललकार रहा है और उनकी ओर से गैस एवं तेल के संवर्धन में बाधक बना हुआ है। अमेरिका के टोही विमान और युद्धपोत  पिछले कुछ अरसे से दक्षिण चीन सागर में  चीनी गतिविधियों पर निगाहें लगाए हुए है।

चीन की इस हरकत से दक्षिण चीन सागर के सीमावर्ती देश वियतनाम और ताइवान को परेशानी झेलनी पड़ती है। वियतनाम ने चीन को परकेल द्वीप में नौ सेना अभ्यास के लिए यह कह कर आपत्ति करता रहा है कि चीन उसकी संप्रभुता के लिए ख़तरा बना हुआ है। यही नहीं, चीन-आसियान आचार संहिता का भी पालन नहीं कर रहा है। चीन ने पिछले ही महीने ताइवान को ‘एक देश दो प्रणाली’  की धमकी देते हुए ताइवान के समुद्री क्षेत्र नौ सेना अभ्यास कर उसकी संप्रभुता को ललकारने की कोशिश की थी।

चीन ने दागीं दो मिसाइलें : चीन ने बुधवार सुबह दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के कथित ख़ुफ़िया विमानों को बतौर चेतावनी दो मिसाइल प्रक्षेपित किए, जिनमें एक तो मिलिट्री युक्त एयर क्राफ़्ट कैरियर मिसाइल थी। चीनी मिलिट्री सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अमेरिका का एक एयरक्राफ़्ट यू एस यू -2 ख़ुफ़िया विमान दक्षिण चीन सागर के ‘नो फ़्लाई ज़ोन’ में  घुस आया था, जब उसकी नौ सेना टुकड़ियाँ सागर के उत्तरी तट बोहाई सागर में अभ्यास कर रही थीं। ये मिसाइलें एक, डी एफ -26 बी इसके किंघाई प्रांत के उत्तर-पश्चिम और दूसरी डी एफ -21 डी देश के पूर्व में झेजीयँग से छोड़ी गई थीं। चीन दक्षिण चीन सागर के चारों हिस्सों में सागर में नौ सेना ड्रिल करता आ रहा है, ताकि शत्रु की थाह का अनुमान लगा सके। चीन दक्षिण चीन सागर को अपनी बपौती समझ कर चीन.. दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और येलो सागर में मिलिट्री अभ्यास करता रहता है। जबकि अमेरिका इस क्षेत्र को निर्बाध और स्वतंत्र मानते हुए हिंद -प्रशांत सागर को जहाज़ों के आवागमन मुक्त किए जाने के उद्देश्य से अपने लड़ाकू विमानों से इस क्षेत्र के संरक्षण में जुटा हुआ है। यही नहीं, अमेरिका  इस क्षेत्र को निर्विवाद मानते हुए अपने जहाज़ और लड़ाकू विमान से चीनी गतिविधियों पर नज़र रखता रहा है।

ये दोनों ही मिसाइलें हैनान प्रांत और परकेल द्वीप समूह के बीच छोड़ी गई थीं। यह डी एफ -26 दोहरी मार करने वाली मिसाइल एक तरह का ऐसा हथियार है, जिसे  अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध के पश्चात इंटर -मिडिएट रेंज नयूक्लियर फ़ोर्सेज ट्रीटी के समय प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस ट्रीटी से अमेरिका ने पिछले वर्ष हाथ खींच लिए थे। इसके अतिरिक्त डी एफ -26 मिसाइल की रेंज 4000 किलोमीटर बताई जाती है, जिसका उपयोग पारम्परिक तौर पर ज़मीन से ज़मीन और समुद्री ठिकानों पर किया जाता है। इसके विपीट डी एफ -21 की रेंज 1800 किलोमीटर बताई जा रही है, जिसे एंटी-शिप बैलेस्टिक मिसाइल के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।