उप्र में कोरोना संक्रमण का स्तर जानने को विशेष अभियान शुरू

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  • एक सप्ताह तक चलेगा अभियान, लोगों के ज्यादा सम्पर्क में रहने वालों की होगी जांच 

लखनऊ :- प्रदेश में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण और खासतौर से लोगों के बीच इसके संक्रमण का स्तर जानने के लिए योगी सरकार ने शुक्रवार से एक विशेष अभियान शुरू किया है। ये अभियान आज से एक सप्ताह तक चलेगा, जिसमें उन लोगों के कोरोना नमूने लेकर जांच की जाएगी, जिनका काम के दौरान आना-जाना ज्यादा होता है। अभियान में कुछ क्षेत्रों को केन्द्र बिन्दु बनाकर स्वास्थ्य विभाग की टीमें वहां जाकर रैंडम जांच करेंगी।

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि आज से एक सप्ताह तक विशेष अभियान चलाया जायेगा। इसमें टारगेटेड ग्रुप की सैम्पिलिंग का अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत ऐसे लोगों के सैम्पल की जांच की जायेगी जिनका बहुत ज्यादा आना जाना रहता है।

इस कड़ी में आज वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, अनाथ आश्रम, किशोर गृह में जाकर कोरोना नमूने लिये जाने का का काम होगा। इसके बाद शनिवार को शहरी मलिन बस्तियों में जाकर  रेंडम जांच करायी जायेगी।

इस कड़ी में आगे टारगेटेड ग्रुप सैम्पिलिंग को आगे बढ़ाते हुए होम डिलीवरी या अन्य डिलीवरी करने वाले लोगों, अखबार वितरक, घरों में दूध पहुंचाने वालों लोगों की सैम्पिलिंग कर जांच की जायेगी। इसी क्रम में आगे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग, अस्पतालों के कर्मचारी, अस्पतालें में पंजीकरण डेस्क के कर्मी, सुरक्षा गार्ड, आयुष्मान मित्रों, फार्मासिस्ट, सेल्समैन आदि की एक सप्ताह तक कोरोना जांच की जाएगी, जिससे संक्रमण के स्तर का पता लगाया जा सके और नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाये जा सकें।   

18 जनपदों के 72 गांवों में नहीं पाया गया समाज में संक्रमण

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के मुताबिक इससे पहले बीते दिनों प्रदेश के जिन 18 जनपदों में सबसे अधिक प्रवासी कामगार आये हैं, वहां जांच की गई थी। ये जनपद झांसी, कौशाम्बी, प्रयागराज, आजमगढ़, बहराइच, बलरामपुर, बांदा, बस्ती, चित्रकूट, जालौन, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, महाराजगंज, मीरजापुर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर और श्रावस्ती थे।

इन जिलों में ऐसे 72 गांवों जहां 50 या उससे अधिक प्रवासी कामगार आये थे, वहां इन लोगों के आने के 15 दिन से ज्यादा का समय गुजरने के बाद प्रवासी कामगारों के बजाय 1,686 सामान्य नागरिकों की कोरोना जांच की गई, जिससे पता चल सके कि निगरानी समितियों ने किस तरह काम किया है, कामगारों ने घरेलू एकांतवास (होम क्वारंटाइन) का कितनी मजबूती से पालन किया और जागरूकता का लोगों में कितना असर देखने को मिला। इनमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इससे सामने आया कि ग्राम निगरानी समितियां अच्छा योगदान दे रही हैं। प्रवासी कामगारों ने भी घरेलू एकांवास के नियमों का पालन किया। 

इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कोविड-19 से होने वाली मृत्यु की दर को नियंत्रित किया जाए। इस रोग से हुई मृत्यु के कारणों की मेडिकल समीक्षा अवश्य की जाए, ताकि उपचार को और प्रभावी किया जा सके। उन्होंने निगरानी समितियों को पूरी तरह सक्रिय रखते हुए सर्विलांस सिस्टम को प्रभावी बनाए रखे जाने के निर्देश भी दिए हैं।