#Ghaziabad: एक विक्रम तो चला गया दूसरे विक्रम को बचा लो साहेब….

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गाजियाबाद। आखिरकार नौजवान पत्रकार विक्रम जोशी मौत से जीते हुए जिंदगी की जंग हार गया। जिस तरह से बदमाशों ने सरेआम विक्रम को मौत की नींद सुला दिया। वह किसी को भी झकझोर के रख सकता है जबकि अब तमाम तरह की चीजें सामने आ रही हैं जहां आर्थिक सहायता, बच्चों की मुफ्त शिक्षा और सरकारी नौकरी का ऐलान भी शामिल है। लेकिन बड़ी बात यह है कि अगर एक सिपाही भी समय रहते उस शिकायत पर कार्रवाई करता तो आज बहुत कुछ सामान्य हो सकता था। विक्रम जोशी की शिकायत पर पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई जिसके चलते निश्चित रूप से बदमाशों के हौसले बुलंद हुए और उन्होंने दुस्साहस दिखाते हुए वारदात को अंजाम दे डाला। दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि पिछले कुछ दिनों से पत्रकार विक्रम जोशी और बिल्डर विक्रम त्यागी की चर्चा मीडिया में लगातार हो रही है जहां बदमाशों ने पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी वहीं अभी बिल्डर विक्रम त्यागी के बारे में संशय कायम है।

इस संबंध में गाजियाबाद बिल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी त्यागी का कहना है कि आज बिल्डर पत्रकार व्यापारी और आम आदमी पूरी तरह से गाजियाबाद में असुरक्षित महसूस कर रहा है। दिनदहाड़े एक बिल्डर का बीच सड़क से अपहरण हो जाता है और पुलिस लगातार जांच की बात है कर रही है। वहीं दूसरी तरफ परिवार की बच्ची से छेड़छाड़ के मामले में शिकायत करने पर पत्रकार विक्रम जोशी को सरेआम गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता है तब भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का दावा कर रही है लेकिन दुस्साहस करने वाले अपराधियों पर रासुका जैसी कठोर कार्रवाई करने से कतराती नजर आ रही है।

गौरतलब है कि विक्रम त्यागी 26 जून को अपने पटेल नगर कार्यालय से घर के लिए लौटे थे और वह घर के पास अपनी गाड़ी के साथ लापता हो गए। मोबाइल की अंतिम लोकेशन भी घर के पास की ही है। इसके अगले दिन 27 जून को उनकी गाड़ी लावारिस हालत में मुजफ्फरनगर में मिली। जिसकी सीट पर खून के निशान थे। विक्रम उस समय लापता हुए जब राज्य में सख्त रात्रि लॉकडाउन था। अब देखना है कि गाजियाबाद पुलिस से एक विक्रम को तो नहीं बचा सकी क्या दूसरे विक्रम को सकुशल बरामद करने में कामयाब हो पाती हैं।