चीन की पीएलए दुनिया के लिए खतरा है : एक रिपोर्ट

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चीन लोकतांत्रिक परंपराओं को ही नष्ट करने पर तुला है

नई दिल्ली :- एक चीनी थिंक टैंक काई क्षिया ने कहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया भर के लिए एक ख़तरा है। उन्होंने अमेरिका से अपील की है कि उसे चीनी व्यवस्था से निपटने के लिए दोग़ुना कड़ा प्रयास करना होगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने विस्तारवादी रवैए से अपने पड़ोसी देशों सहित दुनिया भर के देशों को अंगुलियों पर नचाना चाहती है। उन्होंने कहा है कि चीन चरमपंथी समाजवाद बनाम डेमोक्रेसी, दो व्यवस्थाओं के टकराव में लगा है। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था और परंपराओं को नष्ट करने में तुला हुआ है।

थिंक टैंक काई क्षिया है कौन-

सीएनएन को एक साक्षात्कार में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में थिंक टैंक और प्रोफ़ेसर काई क्षिया (CAI XIA) ने पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग़ की नीतियों की कड़ी आलोचना की थी। इसमें चीन की फ़ाइव जी हुवाए दूर संचार विरोध किया था और ट्रम्प प्रशासन की ओर से इसे देश की सुरक्षा में लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध का स्वागत किया था। इस पर शी जिंपिंग सरकार ने पिछले सप्ताह उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। यही नहीं उसे नागरिकता से बेदख़ल भी कर दिया था। वह पिछले वर्ष अमेरिका आई थी, लेकिन कोविड-19 के कारण स्वदेश नहीं लौट पाई थी। क्षिया कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष ट्रेनिंग सेनर में रही है। वह उदारवादी नीतियों और डेमोक्रेटिक सिद्धांतों की हिमायती रही हैं। वह अमेरिका एक पर्यटक के रूप में आई थी।

वैश्विक संस्थाओं में घुसपैठ-

चीनी थिंक टैंक ने ट्रम्प प्रशासन और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह चीन के शीर्ष अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए और वैश्विक संस्थाओं में चीनी अधिकारियों, वैज्ञानिकों और शोध शास्त्रियों के घुसने पर रोक लगाए, ताकि निरंकुशवादी ताक़तों को आगे बढ़ने से रोका जाए। उनका यह भी कहना है कि अनमेरिका और चीन के बीच मौजूदा तनाव दो देशों के लोगों के बीच नहीं, बल्कि दो व्यवस्थाओं और दो विचारधाराओं के बीच है। काई ने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में ख़ुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी जान को ख़तरा हो सकता है।  

लोकतांत्रिक व्यवस्था के ख़िलाफ़-

काई ने कहा है कि शी जिनपिंग जैसे ही सन 2012 में सत्तारूढ़ हुए, उन्होंने पार्टी और सरकार, दोनों में एकाधिकार आधिपत्य कर लिया। यह उस समय तात्कालीन नब्बे करोड़ की  जनसंख्या वाले देश के सभी राजकीय और सामाजिक अधिकारों पर आधिपत्य ज़माने जैसा कृत्य था। उन्होंने कहा कि देश के पश्चिम में शियाँजियांग में उईगर मुस्लिम समुदाय को यातना शिविरों में ठूँसना और हांगकांग की डेमोक्रेटिक प्रणाली के लिए जूझ रहे छात्रों और युवा शक्ति को कुचलना किसी से छिपा नहीं है। इसी चीन ने सन 1997 में ब्रिटिश सरकार से मुक्त होने के पाद हांगकांग को पूर्ण  स्वायत्तता दिए जाने के लिए वचन दिया था। वही शी जिनपींग सरकार अब अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बदलने के लिए भी आँखे दिखा रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि विगत सात दशक में अमेरिका और चीन के बीच आज कारोबार, टेक्नोलाजी, मानवीय अधिकारों और वित के क्षेत्र में सबसे ख़राब संबंध हैं। अमेरिका ने पिछले दिनों चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने के बारे में जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। हालाँकि चीन ने दूसरे देश पर अपनी विचारधारा थोपने के बारे में हमेशा इनकार किया है, लेकिन यह सच से परे है।