दोगुना किराया चुकाने को मजबूर यात्री पर्वतीय क्षेत्र में

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ऋषिकेश। बसों का संचालन न होने से गढ़वाल मंडल के अधिकांश पर्वतीय जनपदों के सर्विस रूट पर परिवहन व्यवस्था चरमरा गई है। यात्री टैक्सी व अन्य वाहनों को दोगुने से अधिक दाम पर बुक करा कर ले जाने को मजबूर हैं।

उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कोविड कर्फ्यू जारी किया है। इसके अलावा कमर्शियल वाहनों में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ वाहनों का संचालन करने की व्यवस्था तय की गई है। 50 प्रतिशत क्षमता पर वाहनों का संचालन तय करने के साथ प्रदेश सरकार ने किसी भी तरह की किराया वृद्धि न करने का फैसला लिया है। जिससे परिवहन व्यवसाई नाराज हैं। ऋषिकेश, देहरादून तथा कोटद्वार से गढ़वाल मंडल के अधिकांश पर्वतीय जनपदों में कॉन्ट्रेक्ट कैरेज के रूप में नियमित वाहन सेवाओं का संचालन निजी परिवहन कंपनियां करती हैं। प्रतिदिन 100 से अधिक सेवाएं विभिन्न पर्वतीय रूटों पर संचालित होते हैं मगर विगत दो मई से परिवहन संस्थाओं ने अपनी नियमित बस सेवाओं का संचालन कब कर दिया है जिससे पर्वतीय मार्गों पर परिवहन व्यवस्था चरमरा गई है। 

हेलन की स्टेज कैरेज के रूप में संचालित होने वाली टैक्सी, मैक्सी, कैब आदि सेवाएं वर्तमान में संचालित हो रही हैं। मगर इन्हें भी 50 प्रतिशत क्षमता पर ही संचालन करने की अनुमति है। जिसके लिए यात्रियों को दोगुने से अधिक किराया चुकाना पड़ रहा है। बसों का संचालन ना होने के कारण ऋषिकेश विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में जाने वाले व्यक्तियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों बड़ी संख्या में विभिन्न प्रदेशों से प्रवासी भी उत्तराखंड लौट रहे हैं। मगर, यहां से बसें उपलब्ध न होने के कारण उन्हें परेशानी से जूझना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी छोटी दूरी का सफर करने वाले यात्रियों को उठानी पड़ रही है। विभिन्न रूटों पर जगह-जगह यात्री, वाहनों का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। 

पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ रूटों पर परिवहन निगम की बसों का भी संचालन होता है। मगर, परिवहन निगम की बस सेवाओं की संख्या इतनी कम है कि इनसे कोई राहत नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी ओर रोडवेज बसों में भी 50 प्रतिशत की क्षमता पर संचालन का नियम लागू होने से परेशानी से निजात मिलती नहीं दिख रही है।